Moksha Marg Prakashak-Gujarati (Devanagari transliteration). Ishta-anishtani Mithya Kalpana.

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पण तेम बनतुं नथी. तेथी तेनुं नाम मिथ्याचारित्र छे. ए ज अहीं कहीए छीएः
पोतानो स्वभाव तो द्रष्टाज्ञाता छे. हवे पोते केवळ देखवावाळोजाणवावाळो तो
रहेतो नथी, पण जे जे पदार्थोने ते देखेजाणे छे तेमां इष्टअनिष्टपणुं माने छे अने तेथी
रागीद्वेषी थाय छे. कोईना सद्भावने तथा कोईना अभावने इच्छे छे पण तेनो सद्भाव
के अभाव आ जीवनो कर्यो थतो ज नथी, कारण केकोई द्रव्य कोई अन्य द्रव्यनुं कर्ताहर्ता
छे ज नहि पण सर्व द्रव्यो पोतपोताना स्वभावरूप परिणमे छे. मात्र आ जीव व्यर्थ
कषायभाव करी व्याकुळ थाय छे. वळी कदाचित् पोते इच्छे तेम ज पदार्थ परिणमे तोपण
ते पोतानो परिणमाव्यो तो परिणम्यो नथी पण जेम चालता गाडाने बाळक धकेली एम माने
के ‘‘आ गाडाने हुं चलावुं छुं’’
तो ते असत्य माने छे. जो ए गाडुं तेनुं चलाव्युं चाले
छे तो ज्यारे ए न चालतुं होय त्यारे ते केम चलावी शकतो नथी? तेम पदार्थ परिणमे
छे अने ज्यारे कोईवार जीवने अनुसारे परिणमे त्यारे एम माने के ‘आने हुं आम
परिणमावुं छुं’ पण ते असत्य माने छे. जो तेनो परिणमाव्यो परिणमे छे तो ज्यारे ते एम
न परिणमतो होय त्यारे ते केम परिणमावतो नथी? एटले पोतानी इच्छानुसार पदार्थनुं
परिणमन तो कदी पण थतुं नथी, कदाचित् थाय तो तेवा जोगानुजोग बनतां ज थाय छे,
घणां परिणमन तो पोतानी इच्छा विरुद्ध ज थतां जोईए छीए. माटे निश्चय थाय छे के
पोतानो कर्यो कोई पण पदार्थोनो सद्भाव अथवा अभाव थतो नथी, अने जो पोताना करवाथी
कोई पण पदार्थोनो सद्भाव
अभाव थतो ज नथी तो कषायभाव करवाथी शुं वळे? केवळ
पोते ज दुःखी थाय छे. जेम कोई विवाहादि कार्यमां जेनुं कह्युं काम थतुं न होय छतां पोते
कर्ता बनी कषाय करे तो पोते ज दुःखी थाय; तेम अहीं पण समजवुं. माटे कषायभाव करवो
ए ‘जेम जळने वलोववुं कांई कार्यकारी नथी’ एवो छे, तेथी ए कषायोनी प्रवृत्तिने
मिथ्याचारित्र कहीए छीए. तथा कषायभाव थाय छे ते पदार्थोने इष्ट
अनिष्टरूप मानवाथी
थाय छे. ए इष्टअनिष्टपणुं मानवुं पण मिथ्या छे; कारण के कोई पण पदार्थ इष्ट
अनिष्टरूप छे नहि. ते केवी रीते ते अहीं कहीए छीएः
£ष्टअनिष्टनी मिथ्या कल्पना
जे पोताने सुखदायकउपकारी होय तेने इष्ट कहीए छीए तथा जे पोताने दुःख-
दायकअनुपकारी होय तेने अनिष्ट कहीए छीए. हवे लोकमां सर्व पदार्थो तो पोतपोताना
स्वभावनां कर्ता छे. कोई कोईने सुखदायकदुःखदायक के उपकारीअनुपकारी नथी, मात्र आ
जीव पोताना परिणामोमां तेमने सुखदायक अने उपकारी जाणी इष्टरूप माने छे अथवा
दुःखदायक अने अनुपकारी जाणी अनिष्टरूप माने छे. जुओ, एक ज पदार्थ कोईने इष्टरूप
लागे छे त्यारे कोईने अनिष्टरूप लागे छे. जेम जेने वस्त्र न मळतुं होय तेने घट वस्त्र
इष्टरूप लागे छे तथा जेने बारीक वस्त्र मळे छे तेने ते अनिष्टरूप लागे छे. भूंडादिकने
९० ][ मोक्षमार्गप्रकाशक
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