Moksha Marg Prakashak-Gujarati (Devanagari transliteration).

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वळी जे प्रयोजन अर्थे कषायभाव थयो छे ते प्रयोजननी सिद्धि थाय तो ज आ
दुःख दूर थई मने सुख थाय, एम विचारी ए प्रयोजननी सिद्धि थवा माटे अनेक उपाय
करवा तेने दुःख दूर थवाना उपाय माने छे.
हवे कषायभावोथी जे दुःख थाय छे ते तो साचुं छे कारण के प्रत्यक्ष पोते ज दुःखी
थई रह्यो छे, परंतु ए दुःख मटवा माटे जे उपाय करे छे ते बधा जूठा छे. ते केवी रीते
ते अहीं कहीए छीए.
क्रोधमां अन्यनुं बूरुं करवानो, मानमां अन्यने हलको पाडी पोते ऊंचो थवानो,
मायामां छळप्रपंच वडे कार्य सिद्ध करवानो, लोभमां इष्ट वस्तुने मेळववानो, हास्यमां
विकसित (प्रफुल्लित) थवानां कारणो बन्यां राखवानो, रतिमां इष्ट वस्तुनो संयोग बन्यो
राखवानो, अरतिमां अनिष्ट वस्तुने दूर करवानो, शोकमां शोकनां कारण मटाडवानो, भयमां
भयनां कारण मटाडवानो, जुगुप्सामां जुगुप्सानां कारणो दूर करवानो, पुरुषवेदमां स्त्री साथे
रमवानो, स्त्रीवेदमां पुरुष साथे रमवानो तथा नपुंसकवेदमां स्त्री
पुरुष बंनेनी साथे रमवानो
उपाय करे छे ए प्रयोजन तेने होय छे.
हवे ए प्रयोजनोनी सिद्धि थाय तो कषाय उपशमवाथी दुःख दूर थई जीव सुखी थाय,
परंतु ए प्रयोजनोनी सिद्धि तेना उपर प्रमाणे करेला उपायोने आधीन नथी पण भवितव्यआधीन
छे, कारण के अनेकने ए उपायो करता जोईए छीए पण तेनी सिद्धि थती नथी. वळी ए
उपायो बनवा पण पोताने आधीन नथी परंतु भवितव्यआधीन छे, कारण के अनेकने ए उपायो
करवानी इच्छा छतां एक पण उपाय न बनी शकतो होय एम प्रत्यक्ष जोईए छीए.
कदाचित् काकतालीय न्यायानुसार जेवुं पोतानुं प्रयोजन होय तेवुं ज भवितव्य होय
अने तेवो ज उपाय बनी जाय तो तेथी ए कार्यनी सिद्धि पण थई जाय अने तेथी ए
कार्यसंबंधी कोई कषायनो उपशम थाय, परंतु त्यां थंभाव थतो नथी, कारण ज्यांसुधी ए
कार्य सिद्ध न थयुं होय त्यांसुधी तो ए कार्य संबंधी कषाय हतो पण जे समये ए कार्य
सिद्ध थयुं ते ज समये अन्य कार्य संबंधी कषाय थाय छे. एक समयमात्र पण जीव निराकुळ
रहेतो नथी. जेम कोई क्रोधवडे अन्यनुं बूरुं थवुं इच्छतो हतो, तेनुं बूरुं थतां पाछो कोई
अन्य उपर क्रोध करीने तेनुं बूरुं इच्छवा लाग्यो. अथवा ज्यारे थोडी शक्ति हती त्यारे
तो ते पोतानाथी नानाओनुं बूरुं चाहतो हतो, अने घणी शक्ति थतां पोतानाथी मोटाओनुं
बूरुं चाहवा लाग्यो, ए ज प्रमाणे मान
मायालोभादि वडे जे कार्य विचार्युं हतुं ते सिद्ध
थतां कोई अन्य कार्यमां मानादिक उपजावी तेने सिद्ध करवानी इच्छा करवा लाग्यो. ज्यारे
थोडी शक्ति हती त्यारे नानां नानां कार्योने सिद्ध करवा इच्छतो हतो अने घणी शक्ति थतां
मोटां मोटां कार्यो सिद्ध करवानो अभिलाषी थयो. कषायोमां कार्यनुं कोई प्रमाण होय तो
त्रीजो अधिकारः संसारदुःख अने मोक्षसुख निरूपण ][ ५७