Moksha-Marg Prakashak (Hindi). Prakashakiy nivedan.

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प्रकाशकीय निवेदन
‘भगवानश्रीकुन्दकुन्द-कहानजैनशास्त्रमाला’के ९९वें पुष्पका‘मोक्षमार्गप्रकाशक’
ग्रन्थकायह हिन्दी छठवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए अति प्रसन्नता अनुभूत हो रही है।
यह संस्करण भी पिछले पाँचवें संस्करणके अनुरूप ही रखा गया है। पूज्य गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीने, ‘मोक्षमार्गप्रकाशक’ पर अनेक बार प्रवचन देकर एवं उसके गम्भीर रहस्य
समझाकर, मुमुक्षुसमाज पर महान उपकार किया है। परमोपकारी पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी
एवं स्वानुभवविभूषित पूज्य बहिनश्री चम्पाबेनके पावन धर्मोपकारप्रतापसे, उन दोनोंकी पवित्र
साधनाभूमि सुवर्णपुरी (सोनगढ़)में अध्यात्मतत्त्वप्रधान अनेकविध धार्मिक गतिविधि चल रही हैं।
उनका लाभ लेने हेतु हिन्दीभाषी मुमुक्षुवृन्द, अपने आत्मार्थकी उजागरताके लिये, वर्षमें अनेक
बार सोनगढ़ आते रहते हैं। उन तत्त्वरसिक मुमुक्षुवृन्दकी भावनाको ध्यानमें लेकर यह ग्रन्थ
पुनः प्रकाशित किया जा रहा है।
इस महान ग्रन्थके अध्ययनसे मुमुक्षु जीव, भवभीरुता सह तत्त्वज्ञानकी गहनता सम्प्राप्त
कर, अपने आत्मार्थको विशेष पुष्ट करेंयही प्रशस्त भावना।
वि. सं. २०५१, चैत्र कृष्णा १
(बहिनश्री-चम्पाबेन-६३वीं-सम्यक्त्वजयन्ती)
सत्साहित्यप्रकाशनसमिति,
श्री दि जैन स्वाध्यायमन्दिर ट्रस्ट,
सोनगढ़ ३६४२५०