૪૨પ
સમયસાર નાટકના પદ્યોની
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
अ
अमृतचंद्र बोले मृदुवानी
३१३
अचल अखंडित ग्यानमय
३०५ अमृतचंद्र मुनिराजकृत
३६३
अच्छर अरथमैं मगन रहै सदा
३६१ अलख अमूरति अरूपी
२०७
अजथारथ मिथ्या मृषा
२३ अलप ग्यान लघुता लखै
३९६
अतीचार एपंच प्रकारा
३७८ अविनासी अविकार परमरसधाम हैं ५
अद्भूत ग्रंथ अध्यातम वानी
३१२ अशुभमैं हारि शुभजीति यहै
३४७
अद्य अपूव्व अनवृत्ति त्रिक
३७४ अष्ट महामद अष्ट मल
३७६
अनुभव चिंतामनि रतन,
असंख्यात लोक परवांन जे
१९३
अनुभव है रसकूप
१३
अस्तिरूप नासति अनेक एक
३५४
अनुभव चिंतामनि रतन
अहंबुद्धि मिथ्यादसा
१८९
जाके हिय परगास
१४६
आ
अनुभौके रसकौं रसायन कहत
१४
आचारज कहैं जिन वचनकौ
३०४
अपनैही गुन परजायसौं प्रवाहरूप
३७ आठ मूलगुण संग्रहै
३८६
अपराधी मिथ्यामती
२२८ आदि अंत पूरन–सुभाव–संयुक्त है ३४
अब अनिवृत्तिकरन सुनु भाई
३९९ आतमकौ अहित अध्यातम
१२१
अब उपशांतमोह गुनथाना
४०० आतम सुभाउ परभाउकी
१४८
अब कछु कहौं जथारथ वानी
४१२ आपा परिचै निज विषै
३७५
अब कवि निज पूरब दसा
३६२ आस्रवकौ अधिकार यह
१२१
अब निहचै विवहार
३८२ आस्रवरूप बंध उतपाता
४०६
अब पंचम गुनथानकी
३८५ आस्रव संवर परनति जौलौं
४०६
अब बरनौं अष्टम गुनथाना
३९९ आसंका अस्थिरता वांछा
३७६
अब बरनौं इकईस गुन
३८३
इ
अब बरनौं सप्तम विसरामा
३९८ इति श्री नाटक ग्रंथमैं
२४४
अब यह बात कहूँ है जैसे
४१६ इहभव–भय परलोक–भय
१६०
अब सुनि कुकवि कहौं है जैसा
४१३ इह विचारि संछेपसौं
३६७
વર્ણાનુક્રમણિકા