Natak Samaysar (Gujarati).

< Previous Page   Next Page >


Page 430 of 444
PDF/HTML Page 457 of 471

 

background image
૪૩૦ સમયસાર નાટક
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
जाकी दुखदाता–घाती चाकरी
४०२ जाहि फरसकै जीव गिर
४०१
जाकी परम दसा विषै
३४४ जाही समै जीव देह बुद्धिकौ
६८
जाके उदै होत घट–अंतर
९५
जिनपद नांहि शरीरकौ
४५
जाके उर अंतर निरंतर
१४२ जिन–प्रतिमा जन दोष निकंदै
३६७
जाके उर अंतर सुद्रिष्टिकी
३६६ जिनि प्रतिमा जिन–सारखी
३६५
जाके उर कुबजा बसै
२८४ जिनि ग्रंथी भेदी नहीं
३७१
जाके घट ऐसी दसा
३५२ जिन्हकी चिहुंटी चिमटासी
२३१
जाके घट अंतर मिथ्यात
३५३ जिन्हकी सहज अवस्था ऐसी
२३९
जाके चेतन भाव चिदानंद सोइ
२२२ जिन्हके सुद्रष्टिमै अनिष्ट इष्ट
१५८
जाक देह–द्युतिसौं दसौं दिसा
४४ जिन्हके देहबुद्धि घट अंतर
३०३
जाके परगासमैं न दीसैं
११८ जिन्हकी मिथ्यामति नही
२३०
जाके मुख दरससौं भगतके
३६५ जिन्हके हियेमैं सत्य सुरज
१४७
जाके मुकति समीप
३३७ जिन्हकै दरब मिति साधन
२१६
जाकै घट प्रगट विवेक
जिन्हकैं धरम ध्यान पावक
२३१
जाकै घट समता नही
२२८ जिन्हकैं सुमतिजागी
२२२
जाकै पद सोहत सुलच्छन
४० जिन्हिके वचन उर धारत
जाकै राज सुचैनसौं
४२१ जिय करता जिय भोगता
२५४
जाकै वचन श्रवन नहि
३४५ जिहि उतंग चढि फिर पतन
२४१
जाके हिरदैमैं स्याद्वाद साधना
३५४ जीव अनादि सरूप मम
२९१
जाकौ अधो अपूरब अनवृति
३३६ जीव अरु पुद्गल करम रहैं
२५१
जाकौ तन दुख दहलसौं
३७० जीव करम करता नहि ऐसैं
२४५
जाकौ विकथा हित लगै
३४५ जीव करम संजोग
२७४
जाति लाभ कुल रूप तप
३७६ जीव ग्यानगुन सहित
७०
जामैं धूमकौ न लेश वातकौ न
१५३ जीव चेतना संजुगत
८१
जामैं बालपनौं तरुनापौ
४५ जीव तत्त्व अधिकार यह
५५
जामैं लोक वेद नांहि थापना
२२७ जीव निरजीव करता करम
२३
जामैं लोकालोकके सुभाव
४६ जीव मिथ्यात न करै
९२
जासौं तू कहत यह संपदा हमारी
२०२ जूवा आमिष मदिरा दारी
३४६