Niyamsar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]
शुद्धभाव अधिकार
[ ८५

योनिविकल्प इह नास्ति इत्युच्यते तद्यथापृथ्वीकायिकजीवानां द्वाविंशति- लक्षकोटिकुलानि, अप्कायिकजीवानां सप्तलक्षकोटिकुलानि, तेजस्कायिकजीवानां त्रिलक्ष- कोटिकुलानि, वायुकायिकजीवानां सप्तलक्षकोटिकुलानि, वनस्पतिकायिकजीवानाम् अष्टोत्तरविंशतिलक्षकोटिकुलानि, द्वीन्द्रियजीवानां सप्तलक्षकोटिकुलानि, त्रीन्द्रियजीवानाम् अष्टलक्षकोटिकुलानि, चतुरिन्द्रियजीवानां नवलक्षकोटिकुलानि, पंचेन्द्रियेषु जलचराणां सार्धद्वादशलक्षकोटिकुलानि, आकाशचरजीवानां द्वादशलक्षकोटिकुलानि, चतुष्पदजीवानां दशलक्षकोटिकुलानि, सरीसृपानां नवलक्षकोटिकुलानि, नारकाणां पंचविंशतिलक्ष- कोटिकुलानि, मनुष्याणां द्वादशलक्षकोटिकुलानि, देवानां षड्विंशतिलक्षकोटिकुलानि

सर्वाणि सार्धसप्तनवत्यग्रशतकोटिलक्षाणि १9७५०००००००००००

पृथ्वीकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि, अप्कायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि, तेजस्कायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि, वायुकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि, नित्यनिगोदिजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि, चतुर्गतिनिगोदिजीवानां सप्तलक्षयोनिमुखानि,

चतुर्गति (चार गतिना) जीवोनां कुळ तथा योनिना भेद जीवमां नथी एम (हवे) कहेवामां आवे छे. ते आ प्रमाणेः

पृथ्वीकायिक जीवोनां बावीश लाख करोड कुळ छेः अप्कायिक जीवोनां सात लाख करोड कुळ छेः तेजकायिक जीवोनां त्रण लाख करोड कुळ छेः वायुकायिक जीवोनां सात लाख करोड कुळ छे; वनस्पतिकायिक जीवोनां अठ्यावीश लाख करोड कुळ छे; द्वींद्रिय जीवोनां सात लाख करोड कुळ छे; त्रींद्रिय जीवोनां आठ लाख करोड कुळ छे; चतुरिंद्रिय जीवोनां नव लाख करोड कुळ छे; पंचेन्द्रिय जीवोने विषे जळचर जीवोनां साडा बार लाख करोड कुळ छे; खेचर जीवोनां बार लाख करोड कुळ छे; चार पगवाळा जीवोनां दश लाख करोड कुळ छे; सर्पादिक पेटे चालनारा जीवोनां नव लाख करोड कुळ छे; नारकोनां पचीश लाख करोड कुळ छे; मनुष्योनां बार लाख करोड कुळ छे अने देवोनां छव्वीश लाख करोड कुळ छे. बधां थईने एक सो साडी सत्ताणुं लाख करोड (१९७५०००००००००००) कुळ छे.

पृथ्वीकायिक जीवोनां सात लाख योनिमुख छे; अप्कायिक जीवोनां सात लाख योनिमुख छे; तेजकायिक जीवोनां सात लाख योनिमुख छे; वायुकायिक जीवोनां सात लाख योनिमुख छे; नित्य निगोदी जीवोनां सात लाख योनिमुख छे; चतुर्गति (चार