मनोदण्डो वचनदण्डः कायदण्डश्चेत्येतेषां योग्यद्रव्यभावकर्मणामभावान्निर्दण्डः । निश्चयेन परमपदार्थव्यतिरिक्त समस्तपदार्थसार्थाभावान्निर्द्वन्द्वः । प्रशस्ताप्रशस्तसमस्तमोह- रागद्वेषाभावान्निर्ममः । निश्चयेनौदारिकवैक्रियिकाहारकतैजसकार्मणाभिधानपंचशरीरप्रपंचा- भावान्निःकलः । निश्चयेन परमात्मनः परद्रव्यनिरवलम्बत्वान्निरालम्बः । मिथ्यात्ववेद- रागद्वेषहास्यरत्यरतिशोकभयजुगुप्साक्रोधमानमायालोभाभिधानाभ्यन्तरचतुर्दशपरिग्रहाभावान्- नीरागः । निश्चयेन निखिलदुरितमलकलंकपंकनिर्न्निक्त समर्थसहजपरमवीतरागसुखसमुद्रमध्य- निर्मग्नस्फु टितसहजावस्थात्मसहजज्ञानगात्रपवित्रत्वान्निर्दोषः । सहजनिश्चयनयबलेन सहज- ज्ञानसहजदर्शनसहजचारित्रसहजपरमवीतरागसुखाद्यनेकपरमधर्माधारनिजपरमतत्त्वपरिच्छेदन- समर्थत्वान्निर्मूढः, अथवा साद्यनिधनामूर्तातीन्द्रियस्वभावशुद्धसद्भूतव्यवहारनयबलेन त्रिकाल- त्रिलोकवर्तिस्थावरजंगमात्मकनिखिलद्रव्यगुणपर्यायैकसमयपरिच्छित्तिसमर्थसकलविमलकेवल-
मनदंड, वचनदंड अने कायदंडने योग्य द्रव्यकर्मो तथा भावकर्मोनो अभाव होवाथी आत्मा निर्दंड छे. निश्चयथी परम पदार्थ सिवायना समस्त पदार्थसमूहनो (आत्मामां) अभाव होवाथी आत्मा निर्द्वंद्व (द्वैत रहित) छे. प्रशस्त-अप्रशस्त समस्त मोह-राग-द्वेषनो अभाव होवाथी आत्मा निर्मम (ममता रहित) छे. निश्चयथी औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस अने कार्मण नामनां पांच शरीरोना समूहनो अभाव होवाथी आत्मा निःशरीर छे. निश्चयथी परमात्माने परद्रव्यनुं अवलंबन नहि होवाथी आत्मा निरालंब छे. मिथ्यात्व, वेद, राग, द्वेष, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, क्रोध, मान, माया अने लोभ नामनां चौद अभ्यंतर परिग्रहोनो अभाव होवाथी आत्मा नीराग छे. निश्चयथी समस्त पापमळकलंकरूपी कादवने धोई नाखवामां समर्थ, सहज-परमवीतराग-सुखसमुद्रमां मग्न (डूबेली, लीन) प्रगट सहजावस्थास्वरूप जे सहजज्ञानशरीर तेना वडे पवित्र होवाने लीधे आत्मा निर्दोष छे. सहज निश्चयनयथी सहज ज्ञान, सहज दर्शन, सहज चारित्र, सहज परमवीतराग सुख वगेरे अनेक परम धर्मोना आधारभूत निज परमतत्त्वने जाणवामां समर्थ होवाथी आत्मा निर्मूढ (मूढता रहित) छे; अथवा, सादि-अनंत अमूर्त अतींद्रियस्वभाववाळा शुद्धसद्भूत व्यवहारनयथी त्रण काळना अने त्रण लोकना स्थावर-जंगमस्वरूप समस्त द्रव्य-गुण-पर्यायोने एक समये जाणवामां समर्थ सकळ-विमळ (सर्वथा निर्मळ) केवळज्ञानरूपे अवस्थित थवाथी आत्मा निर्मूढ छे. समस्त पापरूपी शूरवीर शत्रुओनी सेना जेमां प्रवेशी शकती नथी
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