नमः श्री सद्गुरुदेवाय।
भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत श्री समयसार अने प्रवचनसार जेवां उ.चतम परमागमो बाद, तेवी ज कोटिना आ त्रीजा परमागम श्री नियमसारने गुजराती भाषामां प्रसिद्ध करीने आ संस्था हर्षपूर्वक मुमुक्षुओना हाथमां मूके छे.
आ शास्त्रना मूळकर्ता भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यदेव छे ने टीकाकार श्री पप्रभमलधारिदेव छे. श्री पप्रभदेव महापवित्र निर्ग्रंथ मुनि हता टीकानां काव्योमां तेओश्रीए करेला अनेक अलंकारोमां तेमनी ऊंडी आध्यात्मिकतानी तेम ज तेमना विशुद्ध ब्रह्मचर्यतेजनी प्रभा झळकी रही छे.
श्री कुंदकुंदभगवानरचित शास्त्रोमां समयसार-प्रवचनसार-पंचास्तिकायसंग्रह जेटलां प्रसिद्धिमां छे तेटलुं आ शास्त्र प्रसिद्धिमां न हतुं परंतु मुमुक्षुओनां सद्भाग्ये हमणां ते विशेष प्रसिद्धिमां आव्युं छे. आजथी लगभग ३५ वर्ष पहेलां आ शास्त्र संस्कृत टीका तथा तेना आधारे ब्र० शीतलप्रसादजीए करेल हिन्दी अनुवाद सहित प्रसिद्ध थयुं हतुं अने हवे तो ते गुजराती भाषामां पण, मूळ गाथा तथा संस्कृत टीकाना अक्षरशः अनुवाद सहित, बहार पडे छे. श्री कुंदकुंदभगवानना ‘प्राभृतत्रय’नी साथे तेओश्रीना आ नियमसारने भेळवीने कहीए तो कुंदकुंदप्रभुना ‘रत्नचतुष्टय’ तरीके आ चारे पवित्र परमागमो जैन शासनमां झळकी ठे छे.
परम पूज्य गुरुदेवश्रीए वीर सं. २४७० (वि. सं. २०००)मां नियमसार उपर प्रवचनो कर्यां, ते वखते तेओश्रीनी ऊंडी द्रष्टिए तेमांना अति गंभीर भावोने पारखी लीधा अने आवुं महिमावंत परमागम जो गुजराती भाषामां अनुवादित थइने जलदी प्रकाशित थाय तो जिज्ञासुओने घणा लाभनुं कारण थाय एवी भावना जागी. भाइश्री हिंमतलाल जेठालाल शाहे पूज्य गुरुदेवश्रीनी ते भावना झीलीने नियमसारना अनुवादनुं कार्य शरु कर्युं अने पोतानी शक्तिने ते कार्यमां केन्द्रित करीने शक्य एटलुं शीघ्र आ अनुवादकार्य तेमणे पूरुं कर्युं. ए रीते श्री समयसार अने प्रवचनसारनी माफक आ नियमसार पण पूज्य गुरुदेवश्रीना प्रभावनी ज प्रसादी छे. आवां आवां महान परमागमोनुं, ऊंडां ऊंडां रहस्योथी भरेलुं आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान समजावीने पूज्य गुरुदेवश्री भारतना मुमुक्षु जीवो पर जे परम उपकार करी रह्या छे, ते उपकारने वाणीथी व्यक्त करवाने आ संस्था असमर्थ छे.
आ पवित्र शास्त्रना गुजराती अनुवादनुं महा कार्य करनार भाइश्री हिंमतलाल जेठालाल शाह अध्यात्मरसिक विद्वान होवा उपरांत गंभीर, वैराग्यशाळी, शांत अने विवेकी सज्जन छे तथा कवि पण छे. मूळ शास्त्रकार मुनिभगवंतोना हृदयना ऊंडा भावोनी गंभीरताने संपूर्णपणे जाळवीने