अन्वयार्थः[अतिस्थूलस्थूलाः] अतिस्थूलस्थूल, [स्थूलाः] स्थूल, [स्थूलसूक्ष्माः च] स्थूलसूक्ष्म, [सूक्ष्मस्थूलाः च] सूक्ष्मस्थूल, [सूक्ष्माः] सूक्ष्म अने [अतिसूक्ष्माः] अतिसूक्ष्म [इति] एम [धरादयः षड्भेदाः भवन्ति] पृथ्वी वगेरे स्कंधोना छ भेद छे.
[भूपर्वताद्याः] भूमि, पर्वत वगेरे [अतिस्थूलस्थूलाः इति स्कंधाः] अतिस्थूलस्थूल स्कंधो [भणिताः] कहेवामां आव्या छे; [सर्पिर्जलतैलाद्याः] घी, जळ, तेल वगेरे [स्थूलाः इति विज्ञेयाः] स्थूल स्कंधो जाणवा.
[छायातपाद्याः] छाया, आतप (तडको) वगेरे [स्थूलेतरस्कन्धाः इति] स्थूलसूक्ष्म स्कंधो [विजानीहि] जाण [च] अने [चतुरक्षविषयाः स्कन्धाः] चार इन्द्रियोना विषयभूत स्कंधोने [सूक्ष्मस्थूलाः इति] सूक्ष्मस्थूल [भणिताः] कहेवामां आव्या छे.
[पुनः] वळी [कर्मवर्गणस्य प्रायोग्याः] कर्मवर्गणाने योग्य [स्कन्धाः] स्कंधो [सूक्ष्माः भवन्ति] सूक्ष्म छे; [तद्विपरीताः] तेमनाथी विपरीत (अर्थात् कर्मवर्गणाने अयोग्य) [स्कन्धाः] स्कंधो [अतिसूक्ष्माः इति] अतिसूक्ष्म [प्ररूपयन्ति] कहेवामां आवे छे.
५० ]