केवलज्ञानीको बन्धके अभावके स्वरूप
सम्बन्धी कथन ................................. १७३
केवली भट्टारकके मनरहितपने सम्बन्धी
कथन............................................. १७५
शुद्ध जीवको स्वभावगतिकी प्राप्ति होनेके
उपायका कथन ................................ १७६
कारणपरमतत्त्वके स्वरूपका कथन .............. १७७
निरुपाधिस्वरूप जिसका लक्षण है ऐसे
परमात्मतत्त्वसम्बन्धी कथन ................... १७८
सांसारिक विकारसमूहके अभावके कारण
परमतत्त्वको निर्वाण है, तत्सम्बन्धी कथन १७९
परमनिर्वाणयोग्य परमतत्त्वका स्वरूप ............ १८०
परमतत्त्वके स्वरूपका विशेष कथन .......... १८१
भगवान सिद्धके स्वभावगुणोंके स्वरूपका
कथन............................................. १८२
सिद्धि और सिद्धके एकत्वका प्रतिपादन ....... १८३
सिद्धक्षेत्रसे ऊ पर जीव-पुद्गलोंके गमनका
निषेध............................................. १८४
नियमशब्दका और उसके फलका उपसंहार ... १८५
भव्यको सीख ........................................ १८६
शास्त्रके नाम कथन द्वारा शास्त्रका उपसंहार .. १८
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विषय
गाथा
विषय
गाथा
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