जातास्तद्वधमाश्रितेन खलु ते सर्वें भवन्त्याहताः
हन्तारं प्रतिहन्ति हन्त बहुशः संस्कारतो नु क्रुधः
निश्चयथी ते बधाने मारे छे. आश्चर्य तो ए छे के ते पोते पोतानो पण घात करे
छे. आ भवमां जे बीजा द्वारा मरायो छे ते निश्चयथी अन्य भवमां क्रोधनी वासनाथी
पोताना ते घातकनो अनेकवार घात करे छे, ए खेदनी वात छे.
थईने ते जीवोनो घात करे छे ते पोताना माता-पिता आदिनो ज घात करे छे. बीजुं तो शुं कहीए,
क्रोधी जीव आत्मघात पण करी बेसे छे. आ क्रोधनी वासनाथी आ जन्ममां कोई अन्य प्राणी द्वारा
मरायेलो जीव पोताना ते घातकनो जन्मान्तरोमां अनेकवार घात करे छे. तेथी अहीं एम उपदेश
आपवामां आव्यो छे के जे क्रोध अनेक पापोनो जनक छे तेनो परित्याग करीने जीवदयामां प्रवृत्त
थवुं जोईए. ९.
प्रेयस्तेन बिना स कस्य भवितेत्याकांक्षतः प्राणिनः
जन्तोर्जीवितदानतस्त्रिभुवने सर्वप्रदानं लघु
थई गया पछी ते त्रणे लोकोनी प्रभुता भला कोने प्राप्त थवानी? निश्चयथी ते
जीवनदान समस्त व्रत, शील अने अन्य अन्य निर्मळ गुणोना आधारभूत छे तेथी