आधारे प्रो० ए. एन. उपाध्ये अने प्रो० हीरालाल जैने आ ग्रन्थनुं संपादन करेल अने तेनो
हिंदी भाषामां अनुवाद पं. बालचंद्र सिद्धान्तशास्त्रीए करेल, जे ‘जीवराज ग्रंथमाला’मां प्रकाशित
थयेल तेना उपरथी आ गुजराती भाषांतर ब्र० व्रजलाल गिरधरलाल शाहे (वढवाण शहेर)
करी आपेल छे. ब्रह्मचारी भाई श्री वजुभाईए आ उपरांत बीजां अनेक शास्त्रोनां भाषांतर
निस्पृहपणे करेल छे. ते बदल तेओ धन्यवादने पात्र छे.
वर्तमानमां पण आ शास्त्रना अनेक श्लोको विद्वद्वर्गमां अतिशय प्रचलित छे.
रसास्वाद स्वाध्यायपूर्वक करवा वाचकवर्गने भलामण छे. प्रतिपादननी शैली घणी ज सरळ अने
रुचिकर छे. बे स्तुति (१३-१४) प्राकृत भाषामां रचेली छे. बाकीनी तमाम रचना संस्कृत
श्लोकोमां छे. कुल ९३९ पदोनो संग्रह आ ग्रंथमां छे.
ग्रंथमालाना अधिकारीवर्गनो तथा हिंदी अनुवादकनो आभार मानवामां आवे छे. गुजराती
भाषांतर सहित आ शास्त्र प्रथमवार आ पहेलां श्री वीतराग सत्साहित्य प्रसारक ट्रस्ट,
भावनगरथी प्रकाशित थयेल छे.
रुचिना पोषण अर्थे आ ट्रस्ट द्वारा अध्यात्मप्रधान शास्त्रोनां प्रकाशननुं कार्य अविरतपणे प्रवर्ती
रह्युं छे. ते अंतर्गत श्री ‘पद्मनंदि
पूज्य गुरुदेव अने पूज्य भगवती माता (बहेनश्री चंपाबेन)ना धर्मोपकारने ज आभारी छे.