Padmanandi Panchvinshati-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashakiy Nivedan (Dvitiy Avrutti Prasange).

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अंतमां आ पवित्र शास्त्र‘‘जेने आत्मज्ञ सत्पुरुष श्री राजचंद्रजीए ‘वनशास्त्र’ कह्युं छे’’नो
स्वाध्याय करी मुमुक्षु जीव आत्मकल्याण पामे ए ज भावना.
दशलक्षणपर्युषणपर्व
वि. सं. २०५५
प्रकाशकीय निवेदन
( द्वितीय आवृत्ति प्रसंगे)
आ पुस्तकनी प्रथम आवृत्ति खपी जवाथी तेनी द्वितीय आवृत्ति फरी छपाववामां आवेल
छे. आगळनी आवृत्तिमां जे मुद्रण-अशुद्धिओ हती ते सुधारीने आ आवृत्ति मुद्रित करवामां आवी
छे.
आ ग्रंथना पठन-पाठनथी मुमुक्षुजीव आत्मलक्षी तत्त्वज्ञान प्राप्त करी आत्मार्थने विशेष पुष्ट
करे ए ज भावना.
वि. सं. २०६४
कारतक सुद एकम
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ- (सौराष्ट्र)
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ- (सौराष्ट्र)
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