Panch Stotra-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१०४ ][ पंचस्तोत्र
नेत्रकमळोने विकसावनार अने विद्वानरूपी चकोर पक्षीओने आनंद
आपनार आपनी स्तुतिरूप जळमां स्नान कर्युं तथा संतापजन्य खेदना
समूहनी शान्ति करी. हे जिनेन्द्रदेव! हुं हवे जतां जतां आपमां ज चित्तने
जोडतो थको भावना करुं छुं के फरीथी आपना दर्शन थाव. २६.
ए प्रमाणे श्री भूपाल कविप्रणीत जिनचतुर्विंशतिनी श्री पं.
श्रेयांसकुमारजी शास्त्रीकृत भाषा टीकानो गुजराती अनुवाद समाप्त.