Panch Stotra-Gujarati (Devanagari transliteration). Bhaktamar Stotra.

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श्री ॠषभदेवाय नमः
श्री पंचस्तोत्रसंग्रह
श्री मानतुंगाचार्य विरचित
भक्तामर स्तोत्र
(श्री ॠषभदेवस्तुति)
(वसंततिलका छंद)
भक्तामरप्रणतमौलिमणिप्रभाणा
मुद्योतकं दलितपापतमोवितानम्
सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादा
बालम्बनं भवजले पततां जनानाम् ।।।।
भक्तामरो लचित ताजमणिप्रभाना,
उद्योतकार, हर पापतमो जथाना;
आधाररूप भवसागरना जनोने,
एवा युगादि प्रभु पादयुगेनमीने. १.
यः संस्तुतः सकलवाङ्मयतत्त्वबोधा
दुद्भूतबुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः
स्तोत्रैर्जगत्त्रितयचित्तहरैरुदारैः
स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम्
।।।। (युग्मं)
कीधी स्तुति सकलशास्त्रजतत्त्वबोधे,
पामेल बुद्धिपटुथी सुरलोकनाथे;
त्रैलोक चित्तहर चारु उदार स्तोत्रे,
हुंये खरे स्तवीश आदि जिनेन्द्रने ते. २.