Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्रीसीमन्धरपरमात्मने नमः।
अध्यात्मरसिक, श्रुतभक्त, आत्मार्थी विद्वान भाईश्री
हिंमतलाल जेठालाल शाह (B.Sc.)ने
सादर समर्पित
अभिनंदन-पत्र
शुद्धात्मरसिक विद्वान बंधु !
विदेहक्षेत्रना वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर परमात्मानी अने भरतक्षेत्रना

चरम तीर्थनायक श्री महावीर देवाधिदेवनी दिव्य वाणी द्वारा जे शुद्धात्मदर्शक श्रुतप्रवाह चाल्यो, तेने झीलीनेतद्रूप परिणमीने परम पावन

अध्यात्मयोगीन्द्र आचार्यवर श्री कुंदकुंददेवे पोताना समस्त आत्मवैभवथी
पारमेश्वरी विद्यानां अनुपम रत्न समान श्री समयसारादि सर्वोत्तम
परमागमोमां संगृहीत कर्यो.
तीर्थंकर भगवानथी वारसामां आवेलां अने कुंदकुंदाचार्यदेवे चीवटथी
संघरेलां आ परमागमोमां उल्लसता शुद्धात्मवैभवरूप अद्भुत निधानने
अंतर्चक्षुथी निहाळनार, वीतराग-सर्वज्ञप्रणीत मोक्षमार्गना यथार्थ ज्ञाता, अमोघ
उपदेष्टा, महान समर्थक अने प्रचारक, परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीए सभा समक्ष संसारतापविनाशक, उपशांतरसपूर्ण, अपूर्व
प्रवचनो द्वारा आ परमागमोनां अंर्त ऊंडां रहस्यो खोलवा मांड्यां.
पूज्य गुरुदेवश्रीना परिचयमां आप आव्या अने तेमना श्रीमुखेथी आपे
पण आ आत्मस्पर्शी प्रवचनो सांभळ्यां. तेना परिणामे आपनी आत्मार्थिता