आश्चर्यकारी कवित्वशक्ति तेमनामां सहज रहेली छे. आ भव्य रचनाओ द्वारा समग्र मुमुक्षु जगत खूब खूब उपकृत थयेल छे. आ माटे श्री हिंमतभाइनो जेटलो उपकृतभावभीनो आभार मानवामां आवे तेटलो ओछो छे. पंचपरमागम जेवां पवित्र शास्त्रोनो अनुवाद तेमणे संपूर्ण निःस्पृहभावे निजकल्याण अर्थे कर्यो छे. आ महान लोकोत्तर कार्य करवानुं परम सौभाग्य मळ्युं ते माटे तेओ खरेखर घणा ज अभिनंदनीय छे.
जेमनी अंतःपरिणति निरंतर शुद्धात्म-अभिमुख प्रगति करी रही छे एवा आ, पूज्य गुरुदेवश्री अने पूज्य बहेनश्री चंपाबेनना महान कृपापात्र, ऊंडा आदर्श आत्मार्थी पंडितरत्न श्री हिंमतलाल जेठालाल शाहनो—पूज्य गुरुदेवश्री अने पूज्य भगवती बहेनश्रीनी उपकारछायातळे—आपणने अमूल्य सत्समागम प्राप्त थयो छे ते आपणुं महान परम सौभाग्य छे. वर्तमान जेमनी अंतरंग दशा आत्मसाक्षात्कारना पुरुषार्थ तरफ सतत ढळी रही छे एवा आ ‘निकट मोक्षगामी’ अने ‘निकट भवी’ने आपणा सौनां शत शत हार्दिक अभिवादन.
आवा अनेक सद्गुणोना धारक, आपणा आदरणीय पंडितरत्न श्री हिंमतलाल जेठालाल शाह प्रत्ये उपकृतभावभीनो अहोभाव व्यक्त करवानुं सौभाग्य प्राप्त थयुं ते बदल अमे धन्यता अनुभवीए छीए. मागशर वद ८, वि. सं. २०५८,
भगवत्कुंदकुंद-‘आचार्यपदारोहण’ दिन