Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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निश्चयव्यवहाराभास-अवलंबीओनुं निरूपण

हवे, निश्चय-व्यवहार बन्ने नयोना आभासने अवलंबे छे एवा मिथ्याद्रष्टिओनुं निरूपण करीए छीएः

कोई जीवो एम माने छे के जिनमतमां निश्चय अने व्यवहार बे नय कह्या छे माटे अमारे ते बन्नेनो अंगीकार करवो. आम विचारी, जे प्रमाणे केवळनिश्चयाभासना अवलंबीओनुं कथन कर्युं हतुं ते प्रमाणे तो तेओ निश्चयनो अंगीकार करे छे अने जे प्रमाणे केवळव्यवहाराभासना अवलंबीओनुं कथन कर्युं हतुं ते प्रमाणे व्यवहारनो अंगीकार करे छे. जोके ए प्रमाणे अंगीकार करवामां बन्ने नयोमां परस्पर विरोध छे, तोपण करे शुं? बन्ने नयोनुं साचुं स्वरूप तो भास्युं नथी अने जिनमतमां बे नय कह्या छे तेमांथी कोईने छोड्यो पण जतो नथी, तेथी भ्रमपूर्वक बन्ने नयोनुं साधन साधे छे. ते जीवो पण मिथ्याद्रष्टि जाणवा.

हवे तेमनी प्रवृत्तिनी विशेषता दर्शावीए छीएः -

अंतरंगमां पोते तो निर्धार करी यथावत् निश्चय-व्यवहार मोक्षमार्गने ओळखेल नथी परंतु जिन-आज्ञा मानी निश्चय-व्यवहाररूप बे प्रकारना मोक्षमार्ग माने छे. हवे मोक्षमार्ग तो कांई बे नथी, मोक्षमार्गनुं निरूपण बे प्रकारथी छे. ज्यां साचा मोक्षमार्गने मोक्षमार्ग निरूपण कर्यो छे ते निश्चयमोक्षमार्ग छे, अने ज्यां मोक्षमार्ग तो छे नहि परंतु मोक्षमार्गनुं निमित्त छे वा सहचारी छे, तेने उपचारथी मोक्षमार्ग कहीए ते व्यवहार- मोक्षमार्ग छे; कारण के निश्चय-व्यवहारनुं सर्वत्र एवुं ज लक्षण छे. साचुं निरूपण ते निश्चय, उपचार निरूपण ते व्यवहार. माटे निरूपणनी अपेक्षाए बे प्रकारे मोक्षमार्ग जाणवो. परंतु एक निश्चयमोक्षमार्ग छे तथा एक व्यवहारमोक्षमार्ग छे एम बे मोक्षमार्ग मानवा मिथ्या छे.

वळी तेओ निश्चय-व्यवहार बन्नेने उपादेय माने छे. ते पण भ्रम छे, कारण के निश्चय अने व्यवहारनुं स्वरूप तो परस्पर विरोध सहित छे...

श्री मोक्षमार्गप्रकाशक
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