भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत ‘रत्नचतुष्टय’मांथी श्री समयसार, प्रवचनसार अने नियमसारना प्रकाशन पछी हवे आ चोथुं रत्न श्री पंचास्तिकायसंग्रह गुजराती भाषामां प्रसिद्ध करीने आ संस्था हर्षपूर्वक मुमुक्षुओना हाथमां मूके छे. गुजराती भाषाना आध्यात्मिक साहित्यमां आ ‘रत्नचतुष्टय’नुं स्थान सर्वोत्कृष्ट छे.
श्री अमृतचंद्राचार्यदेवनी संस्कृत टीकाना अक्षरशः गुजराती अनुवाद साथे आ शास्त्र गुजराती भाषामां पहेली ज वार प्रसिद्ध थाय छे. मूळ सूत्रकार तथा टीकाकार आचार्यभगवंतोनो परिचय, तेम ज शास्त्रना विषयोनो परिचय उपोद्घातमां कराववामां आव्यो छे, तेथी अहीं ते संबंधी उल्लेख नथी करता.
पूज्य गुरुदेवे आ परमागमशास्त्र उपर अनेक वार प्रवचनो करीने तेनां ऊंडां रहस्यो खोल्यां छे. आ रीते अनेक परमागमोनो आध्यात्मिक मर्म समजावीने तेओश्री भारतना अनेक मुमुक्षु जीवो उपर जे परम उपकार करी रह्या छे, ते उपकार वाणीथी व्यक्त थई शके तेम नथी. ज्ञानप्रभावक गुरुदेवना प्रतापे ज जैनसाहित्यनां आवां आवां रत्नो आजे मुमुक्षुओने प्राप्त थयां छे.
श्री समयसार वगेरे परमागमोनी जेम आ पंचास्तिकायसंग्रह परमागमनो गुजराती अनुवाद पण पूज्य गुरुदेवनी प्रेरणा झीलीने विद्वान भाई श्री हिंमतलाल जे. शाहे कर्यो छे. आ पवित्र शास्त्रोना गुजराती अनुवादनुं महाकार्य करनार भाई श्री हिंमतलाल जेठालाल शाह अध्यात्मरसिक विद्वान होवा उपरांत गंभीर, वैराग्यशाळी, शांत अने विवेकी सज्ज्न छे, तथा तेमनामां अध्यात्मरसझरतुं मधुर कवित्व पण छे. पवित्रात्मा पूज्य बहेनश्री चंपाबेन ना तेओ बंधु छे. तेओ घणां वर्षोथी पूज्य गुरुदेवना परिचयमां आव्या छे, ने पूज्य गुरुदेवनां अध्यात्मप्रवचनोना ऊंडा मनन वडे तेमणे पोतानी आत्मार्थिताने घणुं पोषण आप्युं छे. तत्त्वार्थनां मूळ रहस्यो उपरनुं तेमनुं मनन घणुं गहन छे. शास्त्रकार अने टीकाकार मुनिभगवंतोना हृदयना ऊंडा भावोनी गंभीरताने बराबर जाळवीने तेमणे आ अक्षरशः अनुवाद कर्यो छे; ते उपरांत मूळ सूत्रोनो भावभर्यो मधुर पद्यानुवाद पण (हरिगीत छंदमां) तेमणे कर्यो छे, जे आ अनुवादनी मधुरतामां खूब ज वधारो करे छे अने स्वाध्यायप्रेमीओने खूब ज उपयोगी थाय छे. आ उपरांत ज्यां जरूर लागी त्यां भावार्थ द्वारा के फूटनोट द्वारा पण तेमणे स्पष्टता करी