भेदनिमित्तत्वात् स्कंधानां भेत्ता। ऐकन प्रदेशेन स्कंधसंघातनिमित्तत्वात्स्कंधानां कर्ता एकेन
प्रदेशेनैकाकाशप्रदेशातिवर्तितद्नतिपरिणामापन्नेन समयलक्षणकालविभागकरणात् कालस्य प्रविभक्ता।
एकेन प्रदेशेन तत्सूत्रत्रितद्वयादिभेदपूर्विकायाः स्कंधेषु द्रव्यसंख्यायाः एकेन प्रदेशेन
तदवच्छिन्नैकाकाशप्रदेश–
द्वारा –‘समय’ नामक कालका विभाग करता है इसलिये कालका विभाजक है; वह वास्तवमें एक
प्रदेश द्वारा संख्याका भी
करता है, [२] वह एक प्रदेश द्वारा उसकी जितनी मर्यादावाले एक ‘
वह एक प्रदेश द्वारा, एक आकाशप्रदेशका अतिक्रम करनेवाले उसके गतिपरिणाम जितनी मर्यादावाले
‘
वर्णादिभावको जाननेवाले ज्ञानसे लेकर भावसंख्याके विभाग करता है।। ८०।।
द्वारा होता है। क्षेत्रका मापका एकक ‘आकाशप्रदेश’ है और आकाशप्रदेशकी व्याख्यामें परमाणुकी अपेक्षा आती
है; इसलिये क्षेळका माप भी परमाणु द्वारा होता है। कालके माप एकक ‘समय’ है और समयकी व्याख्यामें
परमाणुकी अपेक्षा आती है; इसलिये कालका माप भी परमाणु द्वारा होता है। ज्ञानभावके [ज्ञानपर्यायके]
मापका एकक ‘परमाणुमेंं परिणमित जघन्य वर्णादिभावको जाने उतना ज्ञान’ है और उसमें परमाणुकी अपेक्षा
आती है; इसलिये भावका [ज्ञानभावका] माप भी परमाणु द्वारा होता है। इस प्रकार परमाणु द्रव्य, क्षेत्र, काल
और भाव माप करनेके लिये गज समान है]
२। एक परमाणुप्रदेश जितने आकाशके भागको [क्षेत्रको] ‘आकाशप्रदेश’ कहा जात है। वह ‘आकाशप्रदेश’
परिमाणको उस वस्तुका ‘एकक’ कहा जाता है।]
३। परमाणुको एक आकाशप्रदेशेसे दूसरे अनन्तर आकाशप्रदेशमें [मंदगतिसे] जाते हुए जो काल लगता है उसे