Panchastikay Sangrah (Hindi).

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कहानजैनशास्त्रमाला] षड्द्रव्य–पंचास्तिकायवर्णन
[
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एकेन प्रदेशेन द्वयादिप्रदेशाभावादात्मादिनात्ममध्येनात्मांतेन न सावकाशः। एकेन प्रदेशेन स्कंधानां
भेदनिमित्तत्वात् स्कंधानां भेत्ता। ऐकन प्रदेशेन स्कंधसंघातनिमित्तत्वात्स्कंधानां कर्ता एकेन
प्रदेशेनैकाकाशप्रदेशातिवर्तितद्नतिपरिणामापन्नेन समयलक्षणकालविभागकरणात् कालस्य प्रविभक्ता।
एकेन प्रदेशेन तत्सूत्रत्रितद्वयादिभेदपूर्विकायाः स्कंधेषु द्रव्यसंख्यायाः एकेन प्रदेशेन
तदवच्छिन्नैकाकाशप्रदेश–
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आकाशप्रदेशका अतिक्रमण करनेवाले [–लाँघनेवाले] अपने गतिपरिणामको प्राप्त होता है उसके
द्वारा –‘समय’ नामक कालका विभाग करता है इसलिये कालका विभाजक है; वह वास्तवमें एक
प्रदेश द्वारा संख्याका भी
विभाजक है क्योंकि [१] वह एक प्रदेश द्वारा उसके रचे जानेवाले दो
आदि भेदोंसे लेकर [तीन अणु, चार अणु, असंख्य अणु इत्यादि] द्रव्यसंख्याके विभाग स्कंधोंमें
करता है, [२] वह एक प्रदेश द्वारा उसकी जितनी मर्यादावाले एक ‘
आकाशप्रदेश’ से लेकर [दो
आकाशप्रदेश, तीन आकाशप्रदेश, असंख्य आकाशप्रदेश इत्यादि] क्षेत्रसंख्याके विभाग करता है, [३]
वह एक प्रदेश द्वारा, एक आकाशप्रदेशका अतिक्रम करनेवाले उसके गतिपरिणाम जितनी मर्यादावाले
समय’ से लेकर [दोसमय, तीन समय, असंख्य समय इत्यादि] कालसंख्याके विभाग करता है,
और [४] वह एक प्रदेश द्वारा उसमें विवर्तन पानेवाले [–परिवर्तित, परिणमित] जघन्य
वर्णादिभावको जाननेवाले ज्ञानसे लेकर भावसंख्याके विभाग करता है।। ८०।।
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१। विभाजक = विभाग करनेवाला; मापनेवाला। [स्कंधोंमें द्रव्यसंख्याका माप [अर्थात् वे कितने अणुओं–
परमाणुओंसे बने हैं ऐसा माप] करनेमें अणुओंकी–परमाणुओंकी–अपेक्षा आती है, अर्थात् वैसा माप परमाणु
द्वारा होता है। क्षेत्रका मापका एकक ‘आकाशप्रदेश’ है और आकाशप्रदेशकी व्याख्यामें परमाणुकी अपेक्षा आती
है; इसलिये क्षेळका माप भी परमाणु द्वारा होता है। कालके माप एकक ‘समय’ है और समयकी व्याख्यामें
परमाणुकी अपेक्षा आती है; इसलिये कालका माप भी परमाणु द्वारा होता है। ज्ञानभावके [ज्ञानपर्यायके]
मापका एकक ‘परमाणुमेंं परिणमित जघन्य वर्णादिभावको जाने उतना ज्ञान’ है और उसमें परमाणुकी अपेक्षा
आती है; इसलिये भावका [ज्ञानभावका] माप भी परमाणु द्वारा होता है। इस प्रकार परमाणु द्रव्य, क्षेत्र, काल
और भाव माप करनेके लिये गज समान है]

२। एक परमाणुप्रदेश जितने आकाशके भागको [क्षेत्रको] ‘आकाशप्रदेश’ कहा जात है। वह ‘आकाशप्रदेश’
क्षेत्रका ‘एकक’ है। [गिनतीके लिये, किसी वस्तुके जितने परिमाणको ‘एक माप’ माना जाये, उतने
परिमाणको उस वस्तुका ‘एकक’ कहा जाता है।]

३। परमाणुको एक आकाशप्रदेशेसे दूसरे अनन्तर आकाशप्रदेशमें [मंदगतिसे] जाते हुए जो काल लगता है उसे
‘समय’ कहा जाता है।