Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration). Gatha-3 (Adhikar 1).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
ত্যার পছী পরমসমাধিরূপ অগ্নি বডে কর্মরূপী ইন্ধননো হোম করতা বর্তমান
বর্ততা সিদ্ধোনে হুং নমস্কার করুং ছুং :
ভাবার্থ :তে সিদ্ধোনে হুং নমস্কার করুং ছুং. বীতরাগ নির্বিকল্প স্বসংবেদনজ্ঞানরূপ
পারমার্থিক সিদ্ধ ভক্তিথী হুং নমস্কার করুং ছুং কে জেও হাল পংচমহাবিদেহক্ষেত্রমাং বিরাজে
ছে, জেম কে শ্রী সীমংধর আদি, শুং করতা তেও বিরাজে ছে? বীতরাগ পরমসামাযিক ভাবনানী
अथानन्तरं परमसमाध्यग्निना कर्मेन्धनहोमं कुर्वाणान् वर्तमानान् सिद्धानहं
नमस्करोमि
३) ते हउँ वंदउँ सिद्ध-गण अच्छहिँ जे वि हवंत
परम-समाहि-महग्गिएँ कम्मिंधणइँ हुणंत ।।।।
तान् अहं वन्दे सिद्धगणान् तिष्ठन्ति येऽपि भवन्तः
परमसमाधिमहाग्निना कर्मेन्धनानि जुह्वन्तः ।।।।
ते हउं वंदउं सिद्धगण तानहं सिद्धगणान् वन्दे ये कथंभूताः अत्थ(च्छ) हिं जे
वि हवंत इदानीं तिष्ठन्ति ये भवन्तः सन्तः किं कुर्वाणास्तिष्ठन्ति परमसमाहिमहग्गिएँइँ
कम्मिंधणइँ हुणंत परमसमाध्यग्निना कर्मेन्धनानि होमयन्तः अतो विशेषः तद्यथातान्
सिद्धसमूहानहं वन्दे वीतरागनिर्विकल्पस्वसंवेदनज्ञानलक्षणपारमार्थिकसिद्धभक्त्या नमस्करोमि ये
किंविशिष्टः इदानीं पञ्चमहाविदेहेषु भवन्तस्तिष्ठन्ति श्रीसीमन्धरस्वामिप्रभृतयः किं
১৬ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-১ : দোহা-৩
आगे परमसमाधिरूप अग्निसे कर्मरूप ईंधनका होम करते हुए वर्तमानकालमें
महाविदेहक्षेत्रमें सीमंधरस्वामी आदि तिष्ठते हैं, उनको नमस्कार करता हूँ
गाथा
अन्वयार्थ :[अहं ] मैं [तान् ] उन [सिद्धगणान् ] सिद्ध समूहोंको [वन्दे ]
नमस्कार करता हूँ [येऽपि ] जो [भवन्त: तिष्ठन्ति ] वर्तमान समयमें विराज रहे हैं, क्या करते
हुए ? [परमसमाधिमहाग्निना ] परमसमाधिरूप महा अग्निकर [कर्मेन्धनानि ] कर्मरूप
ईंधनको [जुह्वन्तः ] भस्म करते हुए
भावार्थ :उन सिद्धोंको मैं वीतराग निर्विकल्पस्वसंवेदन ज्ञानरूप परमार्थ
सिद्धभक्तिकर नमस्कार करता हूँ कैसे हैं वे ? अब वर्तमान समयमें पंच महाविदेहक्षेत्रोंमें
श्रीसीमंधरस्वामी आदि विराजमान हैं क्या करते हुए ? वीतराग परमसामायिकचारित्रकी