Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
चलमलिनावगाढरहितत्वेन निश्चयश्रद्धानबुद्धिः सम्यक्त्वं तत्राचरणं परिणमनं दर्शनाचारस्तत्रैव
संशयविपर्यासानध्यवसायरहितत्वेन स्वसंवेदनज्ञानरूपेण ग्राहकबुद्धिः सम्यग्ज्ञानं तत्राचरणं
परिणमनं ज्ञानाचारः, तत्रैव शुभाशुभसंकल्पविकल्परहितत्वेन नित्यानन्दमयसुखरसास्वादस्थिरानु-
भवनं च सम्यक्चारित्रं तत्राचरणं परिणमनं चारित्राचारः, तत्रैव परद्रव्येच्छानिरोधेन
सहजानन्दैकरूपेण प्रतपनं तपश्चरणं तत्राचरणं परिणमनं तपश्चरणाचारः, तत्रैव शुद्धात्मस्वरूपे
स्वशक्त्यनवगूहनेनाचरणं परिणमनं वीर्याचार इति निश्चयपञ्चाचाराः
निःशङ्काद्यष्टगुणभेदो
बाह्यदर्शनाचारः, कालविनयाद्यष्टभेदो बाह्यज्ञानाचारः, पञ्चमहाव्रतपञ्चसमितित्रिगुप्तिनिर्ग्रन्थरूपो
बाह्यचारित्राचारः, अनशनादिद्वादशभेदरूपो बाह्यतपश्चरणाचारः, बाह्यस्वशक्त्यनवगूहनरूपो
২৪ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-১ : দোহা-৭
उसका जो आचरण, उसरूप परिणमन, वह चारित्राचार है, उसी परमानंद स्वरूपमें परद्रव्यकी
इच्छाका निरोधकर सहज आनंदरूप तपश्चरणस्वरूप परिणमन वह तपश्चरणाचार है और उसी
शुद्धात्मस्वरूपमें अपनी शक्तिको प्रकटकर आचरण परिणमन वह वीर्याचार है यह निश्चय
पंचाचारका लक्षण कहा अब व्यवहारका लक्षण कहते हैंनिःशंकितको आदि लेकर अष्ट
अंगरूप बाह्यदर्शनाचार, शब्द शुद्ध, अर्थ शुद्ध आदि अष्ट प्रकार बाह्य ज्ञानाचार, पंच महाव्रत,
पंच समिति, तीन गुप्तिरुप व्यवहार चारित्राचार, अनशनादि बारह तपरूप तपाचार और अपनी
शक्ति प्रगटकर मुनिव्रतका आचरण वह व्यवहार वीर्याचार है
यह व्यवहार पंचाचार परम्पराय
मोक्षका कारण है, और निर्मल ज्ञान-दर्शनस्वभाव जो शुद्धात्मतत्त्व उसका यथार्थ श्रद्धान, ज्ञान,
आचरण तथा परद्रव्यकी इच्छाका निरोध और निजशक्तिका प्रगट करना ऐसा यह निश्चय
(৪) তেমাং জ পরদ্রব্যনী ইচ্ছানা নিরোধ বডে এক (কেবল) সহজানংদরূপে প্রতপন তে
তপশ্চরণ ছে, তেমাং আচরণপরিণমনতে তপশ্চরণাচার ছে.
(৫) তেমাং জ শুদ্ধাত্মস্বরূপমাং জ স্বশক্তিনে গোপব্যা সিবায আচরণপরিণমনতে
বীর্যাচার ছে.
এ প্রমাণে নিশ্চয পংচাচার ছে.
(১) নিঃশংকাদি অংগরূপ আঠ ভেদ তে বাহ্য দর্শনাচার ছে.
(২) কাল, বিনযাদি আঠ ভেদ তে বাহ্য জ্ঞানাচার ছে.
(৩) পাংচ মহাব্রত, পাংচ সমিতি, ত্রণ গুপ্তি, নির্গ্রংথরূপ বাহ্য চারিত্রাচার ছে.
(৪) অনশনাদি বার ভেদরূপ বাহ্য তপশ্চরণাচার ছে.
(৫) বাহ্য স্বশক্তিনে ন গোপববারূপ বাহ্য বীর্যাচার ছে.
আ ব্যবহার পংচাচার পরংপরাএ মোক্ষনা সাধক ছে. বিশুদ্ধ জ্ঞান, বিশুদ্ধ দর্শন জেনো
স্বভাব ছে এবা শুদ্ধ আত্মতত্ত্বনাং সম্যক্শ্রদ্ধান, সম্যগ্জ্ঞান, সম্যক্অনুষ্ঠান তথা বাহ্যদ্রব্যনী