Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
৪৫২ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-২ : দোহা-১৪২
ভাবার্থ:আ প্রত্যক্ষ শিবসংসর্গনে-‘শিব’ শব্দথী বাচ্য এবো অনংত জ্ঞানাদি
স্বভাববালো স্বশুদ্ধাত্মা তেনো রাগাদি রহিত সংবংধ ছোডী দঈনে হে তপোধন! তুং শুদ্ধাত্মভাবথী
প্রতিপক্ষভূত মিথ্যাত্ব, রাগাদিমাং ক্যাংয পণ গমন ন কর. জে কোঈ বিষযকষাযনে আধীন থবাথী
‘শিব’ শব্দথী বাচ্য এবা স্বশুদ্ধাত্মামাং লীন-তন্ময-থতা নথী, তেমনে ব্যাকুলতানুং লক্ষণ জে
ছে এবা দুঃখনে সহন করতা তুং দেখ.
অহীং, নিশ্চযনযথী পোতানা দেহমাং জে কেবলজ্ঞানাদি অনংতগুণসহিত পরমাত্মা রহ্যো
ছে তে জে ‘শিব’ শব্দথী সর্বত্র সমজবো, ‘শিব’ শব্দথী বীজো কোঈ ‘শিব’ নামনো এক
इमं शिवसंगमं परिहृत्य गुरुवर क्वापि मा गच्छ
ये शिवसंगमे लीना नैव दुःखं सहमानाः पश्य ।।१४२।।
इहु इत्यादि इहु इमं प्रत्यक्षीभूतं सिव-संगमु शिवसंसर्गं शिवशब्दवाच्योऽनन्त-
ज्ञानादिस्वभावः स्वशुद्धात्मा तस्य रागादिरहितं संबन्धं परिहरिवि परिहृत्य त्यक्त्वा गुरुवड हे
तपोधन
कहिं वि म जाहि शुद्धात्मभावनाप्रतिपक्षभूते मिथ्यात्वरागादौ क्वापि गमनं मा कार्षीः
जे सिव-संगमि लीण णवि ये केचन विषयकषायाधीनतया शिवशब्दवाच्ये स्वशुद्धात्मनि
लीनास्तन्मया व भवन्ति
दुक्खु सहंता वाहि व्याकुलत्वलक्षणं दुक्खं सहमानास्सन्तः पश्येति
अत्र स्वकीयदेहे निश्चयनयेन तिष्ठति योऽसौ केवलज्ञानाद्यनन्तगुणसहितः परमात्मा स एव
गाथा१४२
अन्वयार्थ :[गुरुवर ] हे तपोधन, [शिवसंगमं ] आत्मकल्याणको [परिहृत्य ]
छोड़कर [क्वापि ] तू कहीं भी [मा गच्छ ] मत जा, [ये ] जो कोई अज्ञानी जीव [शिवसंगमे ]
निजभावमें [नैव लीनाः ] नहीं लीन होते हैं, वे सब [दुःखं ] दुःखको [सहमानाः ] सहते हैं,
ऐसा तू [पश्य ] देख
।।
भावार्थ :यह आत्मकल्याण, प्रत्यक्षमें संसारसागरके तैरनेका उपाय है, उसको
छोड़कर हे तपोधन, तू शुद्धात्माकी भावनाके शत्रु जो मिथ्यात्व रागादि हैं, उनमें कभी गमन
मत कर, केवल आत्मस्वरूपमें मगन रह
जो कोई अज्ञानी विषयकषायके वश होकर
शिवसंगम (निजभाव) में लीन नहीं रहते, उनको व्याकुलतारूप दुःख भववनमें सहता देख
संसारी जीव सभी व्याकुल है, दुःखरूप हैं, कोई सुखी नहीं है, एक शिवपद ही परम आनंदका
धाम है
जो अपने स्वभावमें निश्चयनयकर ठहरनेवाला केवलज्ञानादि अनंतगुण सहित परमात्मा
उसीका नाम शिव है, ऐसा सब जगह जानना अथवा निर्वाणका नाम शिव है, अन्य कोई
शिव नामका पदार्थ नहीं है, जैसा कि नैयायिक वैशेषिकोंने जगत्का कर्त्ता-हर्त्ता कोई शिव