Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration). Gatha: 59 (Adhikar 1) Jivno Karmana Sambandhama Vichar.

< Previous Page   Next Page >


Page 104 of 565
PDF/HTML Page 118 of 579

 

background image
कथ्यते तत्राष्टकमध्ये प्रथमचतुष्टयं कर्मशक्ति स्वरूपमुख्यत्वेन द्वितीयचतुष्टयं कर्मफल-
मुख्यत्वेनेति तद्यथा
जीवकर्मणोरनादिसंबन्धं कथयति
५९) जीवहँ कम्मु अणाइ जिय जणियउ कम्मु ण तेण
कम्मेँ जीउ वि जणिउ णवि दोहिँ वि आइ ण जेण ।।५९।।
जीवानां कर्माणि अनादीनि जीव जनितं कर्म न तेन
कर्मणा जीवोऽपि जनितः नैव द्वयोरपि आदिः न येन ।।५९।।
जीवहं कम्मु अणाइ जिय जणियउ कम्मु ण तेण जीवानां कर्मणामनादिसंबन्धो भवति
हे जीव जनितं कर्म न तेन जीवेन कम्में जीउ वि जणिउ णवि दोहिं वि आइ ण जेण
कर्मणा कर्तृभूतेन जीवोऽपि जनितो न द्वयोरप्यादिर्न येन कारणेनेति इतो विशेषः
मुख्यताथी अने बीजा चार सूत्रो कर्मफळनी मुख्यताथी छे. ते आ प्रमाणेः
तेमां प्रथम ज जीव अने कर्मनो अनादि काळनो संबंध छे एम कहे छेः
भावार्थःजीव अने कर्मनो अनादिसंबंध छे अर्थात् पर्याय संतानथी ज बीज अने
वृक्षनी माफक व्यवहारनये संबंध छे तो पण शुद्धनिश्चयनयथी विशुद्ध ज्ञानदर्शन स्वभाववाळा
जीवथी कर्म उत्पन्न थयुं नथी तेम ज जीव पण स्वशुद्धात्मसंवेदनना अभावथी उपजेला कर्मथी
व्याख्यान और पिछले चार दोहोंमें कर्मके फलका व्याख्यान इस प्रकार आठ दोहोंका रहस्य
है, उसमें प्रथम ही जीव और कर्मका अनादिकालका सम्बन्ध है, ऐसा कहते हैं
गाथा५९
अन्वयार्थ :[हे जीव ] हे आत्मा [जीवानां ] जीवोंके [कर्माणि ] कर्म
[अनादीनि ] अनादि कालसे हैं, अर्थात् जीव कर्मका अनादि कालका सम्बन्ध है, [तेन ] उस
जीवने [कर्म ] कर्म [न जनितं ] नहीं उत्पन्न किये, [कर्मणा अपि ] ज्ञानावरणादि कर्मोंने भी
[जीवः ] यह जीव [नैव जनितः ] नहीं उपजाया, [येन ] क्योंकि [द्वयोःअपि ] जीव कर्म इन
दोनोंका ही [आदिः न ] आदि नहीं है, दोनों ही अनादिके हैं
भावार्थ :यद्यपि जीव व्यवहारनयसे पर्यायोंके समूहकी अपेक्षा नये-नये कर्म समय
-समय बाँधता है, नये-नये उपार्जन करता है, जैसे बीजसे वृक्ष और वृक्षसे बीज होता है,
१०४ ]
योगीन्दुदेवविरचितः
[ अधिकार-१ः दोहा-५९