श्रीमद्ब्रह्मदेवकृत संस्कृत टीकानो गुजराती अनुवाद
(संस्कृत टीकाकारनुं मंगलाचरण)
चिदानन्दैकरूपाय जिनाय परमात्मने ।
परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः ।।१।।
अर्थः — [परमात्मप्रकाशाय] परमात्मस्वरूपना प्रकाशन-अर्थे [चिदानन्दैकरूपाय] चिदानंद
ज जेनुं एक रूप छे एवा [सिद्धात्मने जिनाय परमात्मने] सिद्धस्वरूप जिन परमात्माने [नित्यं]
सदा काळ [नमः] नमस्कार हो. १.
प्रथम महाधिकार (गाथा – १२३)
श्री योगीन्द्रदेवकृत परमात्मप्रकाश नामना दोहकछंद ग्रंथमां प्रक्षेपक दोहकोने छोडीने
ॐ।। श्रीपरमात्मने नमः ।।
श्रीमद्योगीन्दुदेवविरचितः
परमात्मप्रकाशः
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श्रीमद्ब्रह्मदेवकृतसंस्कृतटीका
चिदानन्दैकरूपाय जिनाय परमात्मने ।
परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः ।।१।।
श्रीयोगीन्द्रदेवकृतपरमात्मप्रकाशाभिधाने दोहकछन्दोग्रन्थे प्रक्षेपकान् विहाय
ॐ
श्री पंडित दौलतरामजीकृत मंगलाचरण
दोहा — चिदानंद चिद्रूप जो, जिन परमातम देव ।
सिद्धरूप सुविसुद्ध जो, नमों ताहि करि सेव ।।१।।
परमातम निजवस्तु जो, गुण अनंतमय शुद्ध ।
ताहि प्रकाशनके निमित, वंदूं देव प्रबुद्ध ।।२।।
‘चिदानंद इत्यादि श्लोकका अर्थ — श्रीजिनेश्वरदेव शुद्ध परमात्मा आनंदरूप