Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration).

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करवामां आव्युं छे, एवी समुदायपातनिका छे. (१) त्यां आदिमां ‘‘जे जाया’’ इत्यादि
पच्चीस सूत्रो सुधी त्रण प्रकारना आत्माना कथननुं पीठिकाव्याख्यान छे, (२) त्यारपछी
‘‘जेहउ णिम्मलु’’ इत्यादि चोवीस सूत्रो सुधी सामान्य विवरण छे, (३) त्यारपछी ‘‘अप्पा
जोइय सव्वगउ’’ इत्यादि तेतालीस सूत्रो सुधी विशेष विवरण छे, (४) त्यारपछी ‘‘अप्पा
संजमु’’ इत्यादि एकत्रीस सूत्रो सुधी चूलिका व्याख्यान छे. ए रीते (अंतर अधिकारो
सहित) प्रथम महाधिकार समाप्त थयो.
त्यार पछी प्रक्षेपक सूत्रोने छोडीने मोक्ष, मोक्षफळ अने मोक्षमार्गना स्वरूपना
कथननी मुख्यताथी बसो चौद सूत्रो सुधी बीजो महाधिकार कहेवामां आव्यो छे. एवी
समुदायपातनिका छे. (१) त्यां आदिमां
‘‘सिरि गुरु’’ इत्यादि त्रीस सूत्रो सुधी पीठिका
व्याख्यान छे. (२) त्यारपछी ‘‘जो भत्तउ’’ इत्यादि छत्रीस सूत्रो सुधी सामान्य वर्णन छे.
(३) त्यारपछी ‘‘सुद्धहं संजमु’’ इत्यादि एकतालीश सूत्रो सुधी विशेष वर्णन छे.
(४) त्यारपछी प्रक्षेपक सूत्रोने छोडीने एकसो सात सूत्रो सुधी अभेदरत्नत्रयनी मुख्यताथी
शतसूत्रपर्यन्तं व्याख्यानं क्रियत इति समुदायपातनिका तत्रादौ ‘जे जाया’ इत्यादि
पञ्चविंशतिसूत्रपर्यन्तं त्रिधात्मपीठिकाव्याख्यानम्, अथानन्तरं ‘जेहउ णिम्मलु’ इत्यादि
चतुर्विंशतिसूत्रपर्यन्तं सामान्यविवरणम्, अत ऊर्ध्वं
‘अप्पा जोइय सव्वगउ’ इत्यादि
त्रिचत्वारिंशत्सूत्रपर्यन्तं विशेषविवरणम्, अत ऊर्ध्वं
‘अप्पा संजमु’ इत्याद्येकत्रिंशत्सूत्रपर्यन्तं
चूलिकाव्याख्यानमिति प्रथममहाधिकारः समाप्तः
अथानन्तरं मोक्षमोक्षफलमोक्षमार्ग-
स्वरूपकथनमुख्यत्वेन प्रक्षेपकान् विहाय चतुर्दशाधिकशतद्वयसूत्रपर्यन्तं द्वितीयमहाधिकारः प्रारभ्यत
इति समुदायपातनिका
तत्रादौ ‘सिरिगुरु’ इत्यादित्रिंशत्सूत्रपर्यन्तं पीठिकाव्याख्यानं, तदनन्तरं
‘जो भत्तउ’ इत्यादिषट्त्रिंशत्सूत्रपर्यन्तं सामान्यविवरणम्, अथानन्तरं ‘सुद्धहं संजमु’
इत्याद्येकचत्वारिंशत्सूत्रपर्यन्तं विशेषविवरणं, तदनन्तरं प्रक्षेपकान् विहाय सप्तोत्तरशत-
पातनिका ]परमात्मप्रकाशः [ ७
और परमात्माके कथनकी मुख्यताकर क्षेपकोंको छोड़कर एकसौ तेईस दोहे कहे हैं उनमेंसे
‘जे जाया’ इत्यादि पच्चीस दोहा पर्यंन्त तीन प्रकार आत्माके कथनका पीठिका व्याख्यान,
‘जेहउ णिम्मलु’ इत्यादि चौबीस दोहा पर्यन्त सामान्य वर्णन, ‘अप्पा जोइय सव्वगउ]’ इत्यादि
तेतालीस दोहा पर्यन्त विशेष वर्णन और ‘अप्पा संजमु’ इत्यादि इकतीस दोहा पर्यन्त चूलिका
व्याख्यान है
इस तरह अंतर अधिकारों सहित पहला महाधिकार कहा इसके बाद मोक्ष,
मोक्षफल और मोक्षमार्गके स्वरूपके कथनकी मुख्यताकर क्षेपकोंके सिवाय दोसौ चौदह दोहा
पर्यंत दूसरा महाधिकार है
उसमें ‘सिरि गुरु’ इत्यादि तीस दोहा पर्यन्त पीठिकाव्याख्यान, ‘जो
भत्तउ’ इत्यादि छत्तीस दोहा पर्यन्त सामान्यवर्णन और ‘सुद्धह संजमु’ इत्यादि इकतालीस दोहा