Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration).

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गमनविहिनानि निःक्रियाणि चलनक्रियाविहीनानि किं कृत्वा जीउ वि पुग्गलु परिहरिवि
जीवपुद्गलौ परिहृत्य पभणहिं एवं प्रभणन्ति कथयन्ति के ते णाणपवीण भेदाभेद-
रत्नत्रयाराधका विवेकिन इत्यर्थः तथाहि जीवानां संसारावस्थायां गतेः सहकारिकारण-
भूताः कर्मनोकर्मपुद्गलाः कर्मनोकर्माभावात्सिद्धानां निःक्रियत्वं भवति पुद्गलस्कन्धानां तु
कालाणुरूपं कालद्रव्यं गतेर्बहिरङ्गनिमित्तं भवति
अनेन किमुक्त भवति अविभागिव्यवहार-
कालसमयोत्पत्तौ मन्दगतिपरिणतपुद्गलपरमाणुः घटोत्पत्तौ कुम्भकारवद्वहिरङ्गनिमित्तेन व्यञ्जको
व्यक्ति कारको भवति
कालद्रव्यं तु मृत्पिण्डवदुपादानकारणं भवति तस्य तु
पुद्गलपरमाणोर्मन्दगतिगमनकाले यद्यपि धर्मद्रव्यं सहकारिकारणमस्ति तथापि कालाणुरूपं
निश्चयकालद्रव्यं च सहकारिकारणं भवति
सहकारिकारणानि तु बहून्यपि भवन्ति मत्स्यानां
जातिके पुद्गल सहायी हैं और कर्म नोकर्मके अभावसे सिद्धोंके निःक्रियपना है, गमनागमन
नहीं है पुद्गलके स्कन्धोंको गमनका बहिरंग निमित्तकारण कालाणुरूप कालद्रव्य है इससे
क्या अर्थ निकला ? यह निकला कि निश्चयकालकी पर्याय जो समयरूप व्यवहारकाल उसकी
उत्पत्तिमें मंद गतिरूप परिणत हुआ अविभागी पुद्गलपरमाणु कारण होता है
समयरूप
व्यवहारकालका उपादानकारण निश्चयकालद्रव्य है, उसीको एक समयादि व्यवहारकालका
मूलकारण निश्चयकालाणुरूप कालद्रव्य है, उसीकी एक समयादिक पर्याय है, पुद्गल
परमाणुकी मंदगति बहिरंग निमित्तकारण है, उपादानकारण नहीं है, पुद्गलपरमाणु आकाशके
प्रदेशमें मंदगतिसे गमन करता है, यदि शीघ्र गतिसे चले तो एक समयमें चौदह राजू जाता
है, जैसे घटपर्यायकी उत्पत्तिमें मूलकारण तो मिट्टीका डला है, और बहिरंगकारण कुम्हार है,
वैसे समयपर्यायकी उत्पत्तिमें मूलकारण तो कालाणुरूप निश्चयकाल है, और बहिरंग
निमित्तकारण पुद्गलपरमाणु है
पुद्गलपरमाणुकी मंदगतिरूप गमन समयमें यद्यपि धर्मद्रव्य
सहकारी है, तो भी कालाणुरूप निश्चयकाल परमाणुकी मंदगतिका सहायी जानना परमाणुके
निमित्तसे तो कालका समयपर्याय प्रगट होता है, और कालके सहायसे परमाणु मंदगति करता
कारणभूत छे अने कर्मनोकर्मना अभावथी सिद्धो निष्क्रिय छे. पुद्गलस्कंधोने पण गतिनुं बहिरंग
निमित्त काळाणुरूप काळद्रव्य छे. आथी शुं कहेवायुं? आथी ए कहेवायुं के जेवी रीते घडानी
उत्पत्तिमां कुंभार बहिरंगनिमित्तथी व्यंजक
व्यक्तिकारकछे तेवी रीते व्यवहारकाळरूप अविभागी
समयनी उत्पत्तिमां मंदगतिए परिणत पुद्गलपरमाणु बहिरंग निमित्तथी व्यंजक-व्यक्तिकारक छे.
जेम (घटपर्यायनी उत्पत्तिमां) माटीनो पिंड उपादान कारण छे तेम (समय पर्यायनी उत्पत्तिमां)
काळद्रव्य उपादान कारण छे अने ते पुद्गलपरमाणुना मंदगतिथी गमनकाळे जोके धर्मद्रव्य पण
सहकारी कारण छे तोपण काळाणुरूप निश्चय काळद्रव्य पण सहकारी कारण छे.
अधिकार-२ः दोहा-२३ ]परमात्मप्रकाशः [ २४३