Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration). Gatha: 65 (Adhikar 2).

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१९२) वंदणु णिदणु पडिकमणु णाणिहिँ एहु ण जुत्तु
एक्कु जि मेल्लिवि णाणमउ सुद्धउ भाउ पवित्तु ।।६५।।
वन्दनं निन्दनं प्रतिक्रमणं ज्ञानिनां इदं न युक्त म्
एकमेव मुक्त्वा ज्ञानमयं शुद्धं भावं पवित्रम् ।।६५।।
वंदणु णिंदणु पडिकमणु वन्दननिन्दनप्रतिक्रमणत्रयम् णाणिहिँ एहु ण जुत्तु
ज्ञानिनामिदं न युक्त म् किं कृत्वा एक्कु जि मेल्लिवि एकमेव मुक्त्वा एकं कम् णाणमउ
सुद्धउ भाउ पवित्तु ज्ञानमयं शुद्धभावं पवित्रमिति तथाहि पञ्चेन्द्रियभोगाकांक्षाप्रभृति-
समस्तविभावरहितः शून्यः केवलज्ञानाद्यनन्तगुणपरमात्मतत्त्वसम्यक्श्रद्धानज्ञानानुष्ठानरूप-
निर्विकल्पसमाधिसमुत्पन्नसहजानन्दपरमसमरसीभावलक्षणसुखामृतरसास्वादेन भरितामृतस्थो योऽसौ
ज्ञानमयो भावः तं भावं मुक्त्वाऽन्यद्वयव्यवहारप्रतिक्रमणप्रत्याख्यानालोचनत्रयं तदनुकूलं वन्दन-
निन्दनादिशुभोपयोगविकल्पजालं च ज्ञानिनां युक्तं न भवतीति तात्पर्यम्
।।६५।।
अधिकार-२ः दोहा-६५ ]परमात्मप्रकाशः [ ३२७
गाथा६५
अन्वयार्थ :[वंदन निंदनं प्रतिक्रमणं ] वंदना, निंदा, और प्रतिक्रमण [इदं ] ये
तीनों [ज्ञानिनां ] पूर्ण ज्ञानियोंको [युक्त म् न ] ठीक नहीं हैं, [एकमेव ] एक [ज्ञानमयं ]
ज्ञानमय [शुद्धं पवित्रम् भावं ] पवित्र शुद्ध भावको [मुक्त्वा ] छोड़कर अर्थात् इसके सिवाय
ज्ञानीको कोई कार्य करना योग्य नहीं है
भावार्थ :पाँच इन्द्रियोंके भोगोंकी वाँछा आदि लेकर संपूर्ण विभावोंसे रहित जो
केवलज्ञानादि अनंतगुणरूप परमात्मतत्त्व उसके सम्यक् श्रद्धान ज्ञान आचरणरूप निर्विकल्प
समाधिसे उत्पन्न जो परमानंद परमसमरसीभाव वही हुआ अमृत
- रस उसके आस्वादसे पूर्ण जो
ज्ञानमयीभाव उसे छोड़कर अन्य व्यवहारप्रतिक्रमण प्रत्याख्यान आलोचनाके अनुकूल वंदन
निंदनादि शुभोपयोग विकल्प
जाल हैं, वे पूर्ण ज्ञानीको करने योग्य नहीं हैं प्रथम अवस्थामें
ही हैं, आगे नहीं है ।।६५।।
भावार्थःपांच इन्द्रियोना भोगोनी आकांक्षा आदिथी मांडीने समस्त विभावथी रहित
केवळज्ञानादि अनंतगुणरूप परमात्मतत्त्वनां सम्यक्श्रद्धान, सम्यग्ज्ञान अने सम्यग् अनुष्ठानरूप
निर्विकल्प समाधिथी उत्पन्न सहज परमानंदरूप परम-समरसीभावस्वरूप सुखामृतरसना
आस्वादथी परिपूर्ण जे ज्ञानमय भाव छे ते भाव सिवाय अन्य व्यवहारप्रतिक्रमण,
व्यवहारप्रत्याख्यान, व्यवहारआलोचना ए त्रणेयने अनुकूळ वंदना, निंदा आदि शुभोपयोगनी
विकल्पजाळ ज्ञानीओने योग्य नथी. ६५.