Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration). Gatha: 89 (Adhikar 2).

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अधिकार-२ः दोहा-८९ ]परमात्मप्रकाशः [ ३६५
अथ चट्टपट्टकुण्डिकाद्युपकरणैर्मोहमुत्पाद्य मुनिवराणां उत्पथे पात्यते [?] इति
प्रतिपादयति
२१६) चट्टहिँ पट्टहिँ कुंडियहिँ चेल्ला-चेल्लियएहिँ
मोहु जणेविणु मुणिवरहँ उप्पहि पाडिय तेहिँ ।।८९।।
चट्टैः पट्टैः कुण्डिकाभिः शिष्यार्जिकाभिः
मोहं जनयित्वा मुनिवराणां उत्पथे पातितास्तैः ।।८९।।
चट्टपट्टकुण्डिकाद्युपकरणैः शिष्यार्जिकापरिवारैश्च कर्तृभूतैर्मोहं जनयित्वा केषाम्
मुनिवराणां, पश्चादुन्मार्गे पातितास्ते तु तैः तथाहि तथा कश्चिदजीर्णभयेन विशिष्टाहारं
त्यक्त्वा लङ्घनं कुर्वन्नास्ते पश्चादजीर्णप्रतिपक्षभूतं किमपि मिष्टौषधं गृहीत्वा
हवे, कमंडळ, पींछी, पुस्तक आदि उपकरणो मुनिवरोने मोह उपजावी उन्मार्गमां नाखे
छे, एम प्रतिपादन करे छेः
भावार्थजेवी रीते कोई अज्ञानी अर्थात् ज्ञान विनानो (मूर्ख अर्थात् डाह्यो नहि एवो)
अजीर्णना भयथी विशिष्ट आहारने छोडीने लंघन करे छे. पछी अजीर्णना प्रतिपक्षभूत (अजीर्णने
दूर करनार) कोई स्वादिष्ट औषध लईने जीभनी लंपटताथी (स्वादनो लोलुपी थई अधिक मात्रामां
आगे कमंडलु, पीछी, पुस्तकादि उपकरण और शिष्यादिका संघ ये मुनियोंको मोह
उत्पन्न कराके खोटे मार्गमें पटक देते हैं
गाथा८९
अन्वयार्थ :[चट्टैः पट्टैः कुंडिकाभिः ] पीछी, कमंडल, पुस्तक और
[शिष्यार्जिकाभिः ] मुनि श्रावकरूप चेला, अर्जिका, श्राविका इत्यादि चेलीये संघ
[मुनिवराणां ] मुनिवरोंको [मोहं जनयित्वा ] मोह उत्पन्न कराके [तैः ] वे [उत्पथे ] उन्मार्गमें
(खोटे मार्गमें) [पातिताः ] डाल देते हैं
भावार्थ :जैसे कोई अजीर्णके भयसे मनोज्ञ आहारको छोड़कर लंघन करता है,
पीछे अजीर्णकी दूर करनेवाली कोई मीठी औषधिको लेकर जिह्वाका लंपटी होके मात्रासे
अधिक लेके औषधिका ही अजीर्ण करता है, उसी तरह अज्ञानी कोई द्रव्यलिंगी यती विनयवान्
१ पाठान्तरः पात्यते = पात्यन्त