Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (itrans transliteration).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
shrI diga.nbar jain svAdhyAyama.ndir TrasTa, sonagaDh - 364250
382 ]yogIndudevavirachit: [ adhikAr-2 : dohA-99
ब्रह्मणां भुवने वसतां ये नैव भेदं कुर्वन्ति
ते परमात्मप्रकाशकराः योगिनः विमलं मन्यन्ते ।।९९।।
बंभहं इत्यादि बंभहं ब्रह्मणः शुद्धात्मनः किं कुर्वतः भुवणि वसंताहं भुवने
त्रिभुवने वसंतः तिष्ठतः जे णवि भेउ करंति ये नैव भेदं कुर्वन्ति केन शुद्धसंग्रहनयेन
ते परमप्प-पयासयर ते ज्ञानिनः परमात्मस्वरूपस्य प्रकाशकाः सन्त जोइय हे योगिन्
अथवा बहुवचनेन हे योगिनः
किं कुर्वन्ति विमलु मुणंति विमलं संशयादिरहितं
शुद्धात्मस्वरूपं मन्यन्ते जानन्तीति तद्यथा यद्यपि जीवराश्यपेक्षया तेषामेकत्वं भण्यते
तथापि व्यक्त्यपेक्षया प्रदेशभेदेन भिन्नत्वं नगरस्य गृहादिपुरुषादिभेदवत् कश्चिदाह
यथैकोऽपि चन्द्रमा बहुजलघटेषु भिन्नभिन्नरूपेण द्रश्यते तथैकोऽपि जीवो बहुशरीरेषु
have, jIvonI jAtirUpe (jIvanI jAtinI apekShAe) shuddhAtmAnu.n ekatva darshAve Che :
bhAvArtha:jevI rIte nagaranA ghar Adi ane puruShAdinu.n potAnI jAtinI apekShAe
ekapaNu.n Che topaN vyaktinI apekShAe temanu.n bhinnapaNu.n Che tevI rIte joke jIvarAshinI apekShAe
temanu.n ekatva kahyu.n Che, topaN vyakti-apekShAe pradeshabhedathI temanu.n bhinnapaNu.n Che.
ahI.n, koI kahe Che kejevI rIte cha.ndra ek hovA ChatA.n jaLathI bharelA anek
ghaDAmA.n bhinna-bhinnarUpe dekhAy Che. tevI rIte jIv ek hovA ChatA.n paN anek sharIramA.n
bhinna-bhinnarUpe dekhAy Che. shrI guru temanu.n samAdhAn kare Che
jaLathI bharelA anek ghaDAmA.n
cha.ndranA kiraNonI upAdhinA vishe jaLajAtinA pudgalo ja cha.ndrAkAre pariNamyA Che, paN
गाथा९९
अन्वयार्थ :[भुवने ] इस लोकमें [वसन्तः ] रहनेवाले [ब्रह्मणः ] जीवोंका [भेदं ]
भेद [नैव ] नहीं [कुर्वति ] करते हैं, [ते ] वे [परमात्मप्रकाशकराः ] परमात्माके प्रकाश
करनेवाले [योगिन् ] योगी, [विमलं ] अपने निर्मल आत्माको [जानंति ] जानते हैं
इसमें संदेह
नहीं है
भावार्थ :यद्यपि जीवराशिकी अपेक्षा जीवोंकी एकता है, तो भी प्रदेशभेदसे
प्रगटरूप सब जुदे-जुदे हैं जैसे वृक्ष जातिकर वृक्षोंका एकपना है, तो भी सब वृक्ष जुदे
जुदे हैं, और पहाड़जातिसे सब पहाड़ोंका एकत्व है, तो भी सब जुदे-जुदे हैं, तथा रत्न
जातिसे रत्नोंका एकत्व है, परन्तु सब रत्न पृथक् पृथक् हैं, घटजातिकी अपेक्षा सब
घटोंका एकपना है, परंतु सब जुदे-जुदे हैं, और पुरुषजातिकर सबकी एकता है, परंतु
सब अलग अलग हैं उसी प्रकार जीवजातिकी अपेक्षासे सब जीवोंका एकपना है, तो