Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Malayalam transliteration). Gatha-59 (Adhikar 1) Jivno Karmana Sambandhama Vichar.

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
ശ്രീ ദിഗംബര ജൈന സ്വാധ്യായമംദിര ട്രസ്ട, സോനഗഢ - ൩൬൪൨൫൦
कथ्यते तत्राष्टकमध्ये प्रथमचतुष्टयं कर्मशक्ति स्वरूपमुख्यत्वेन द्वितीयचतुष्टयं कर्मफ ल-
मुख्यत्वेनेति तद्यथा
जीवकर्मणोरनादिसंबन्धं कथयति
५९) जीवहँ कम्मु अणाइ जिय जणियउ कम्मु ण तेण
कम्मेँ जीउ वि जणिउ णवि दोहिँ वि आइ ण जेण ।।५९।।
जीवानां कर्माणि अनादीनि जीव जनितं कर्म न तेन
कर्मणा जीवोऽपि जनितः नैव द्वयोरपि आदिः न येन ।।५९।।
जीवहं कम्मु अणाइ जिय जणियउ कम्मु ण तेणजीवानां कर्मणामनादिसंबन्धो भवति
हे जीव जनितं कर्म न तेन जीवेन कम्में जीउ वि जणिउ णवि दोहिं वि आइ ण जेण
कर्मणा कर्तृभूतेन जीवोऽपि जनितो न द्वयोरप्यादिर्न येन कारणेनेति इतो विशेषः
മുഖ്യതാഥീ അനേ ബീജാ ചാര സൂത്രോ കര്മഫളനീ മുഖ്യതാഥീ ഛേ. തേ ആ പ്രമാണേ :
തേമാം പ്രഥമ ജ ജീവ അനേ കര്മനോ അനാദി കാളനോ സംബംധ ഛേ ഏമ കഹേ ഛേ :
ഭാവാര്ഥ :ജീവ അനേ കര്മനോ അനാദിസംബംധ ഛേ അര്ഥാത് പര്യായ സംതാനഥീ ജ ബീജ അനേ
വൃക്ഷനീ മാഫക വ്യവഹാരനയേ സംബംധ ഛേ തോ പണ ശുദ്ധനിശ്ചയനയഥീ വിശുദ്ധ ജ്ഞാനദര്ശന സ്വഭാവവാളാ
ജീവഥീ കര്മ ഉത്പന്ന ഥയും നഥീ തേമ ജ ജീവ പണ സ്വശുദ്ധാത്മസംവേദനനാ അഭാവഥീ ഉപജേലാ കര്മഥീ
व्याख्यान और पिछले चार दोहोंमें कर्मके फ लका व्याख्यान इस प्रकार आठ दोहोंका रहस्य
है, उसमें प्रथम ही जीव और कर्मका अनादिकालका सम्बन्ध है, ऐसा कहते हैं
गाथा५९
अन्वयार्थ :[हे जीव ] हे आत्मा [जीवानां ] जीवोंके [कर्माणि ] कर्म
[अनादीनि ] अनादि कालसे हैं, अर्थात् जीव कर्मका अनादि कालका सम्बन्ध है, [तेन ] उस
जीवने [कर्म ] कर्म [न जनितं ] नहीं उत्पन्न किये, [कर्मणा अपि ] ज्ञानावरणादि कर्मोंने भी
[जीवः ] यह जीव [नैव जनितः ] नहीं उपजाया, [येन ] क्योंकि [द्वयोःअपि ] जीव कर्म इन
दोनोंका ही [आदिः न ] आदि नहीं है, दोनों ही अनादिके हैं
भावार्थ :यद्यपि जीव व्यवहारनयसे पर्यायोंके समूहकी अपेक्षा नये-नये कर्म समय
-समय बाँधता है, नये-नये उपार्जन करता है, जैसे बीजसे वृक्ष और वृक्षसे बीज होता है,
൧൦൪ ]യോഗീന്ദുദേവവിരചിത: [ അധികാര-൧ : ദോഹാ-൫൯