Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Telugu transliteration). Gatha-57 (Adhikar 1) Dravya, Gun, Paryaynu Swaroop.

< Previous Page   Next Page >


Page 98 of 565
PDF/HTML Page 112 of 579

background image
Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
శ్రీ దిగంబర జైన స్వాధ్యాయమందిర ట్రస్ట, సోనగఢ - ౩౬౪౨౫౦
परिहारमाह आगमप्रसिद्धयागुरुलघुकगुणहानिवृद्ध्यपेक्षया, अथवा येनोत्पादादिरूपेण ज्ञेयं वस्तु
परिणमति तेन परिच्छित्त्याकारेण ज्ञानपरिणत्यपेक्षया अथवा मुक्त ौ संसारपर्यायविनाशः
सिद्धपर्यायोत्पादः शुद्धजीवद्रव्यापेक्षया धौव्यश्च सिद्धानामुत्पादव्ययौ ज्ञातव्याविति अत्र तदेव
सिद्धस्वरूपमुपादेयमिति भावार्थः ।।५६।।
अथ द्रव्यगुणपर्यायस्वरूपं प्रतिपादयति
५७) तं परियाणहि दव्वु तुहुँ जं गुण-पज्जय-जुत्तु
सह-भुव जाणहि ताहँ गुण कम-भुव पज्जउ वुत्तु ।।५७।।
तं परिजानाहि द्रव्यं त्वं यत् गुणपर्याययुक्त म्
सहभुवः जानीहि तेषां गुणाः क्रमभुवः पर्यायाः उक्त ाः ।।५७।।
తేనో పరిహార :(౧) ఆగమ ప్రసిద్ధ అగురులఘుగుణనీ హాని-వృద్ధినీ అపేక్షాఏ
అథవా (౨) జే ఉత్పాదాదిరూపే జ్ఞేయ వస్తు పరిణమే ఛే తేనీ పరిచ్ఛిత్తినా (జాణవానా) ఆకారే
జ్ఞాన పరిణమే ఛే తే అపేక్షాఏ అథవా (౩) సిద్ధ థయా త్యారే సంసారపర్యాయనో నాశ థయో, సిద్ధ
పర్యాయనో ఉత్పాద థయో అనే శుద్ధ జీవద్రవ్యనీ అపేక్షాఏ ధ్రౌవ్య రహ్యుం తే అపేక్షాఏ, సిద్ధోనే
ఉత్పాదవ్యయ జాణవా.
అహీం తే సిద్ధ స్వరూప ఉపాదేయ ఛే ఏవో భావార్థ ఛే. ౫౬.
హవే ద్రవ్య గుణ పర్యాయనుం స్వరూప కహే ఛే :
-वृद्धिकी अपेक्षा सिद्धोंके उत्पाद-व्यय कहा जाता है अथवा समस्त ज्ञेयपदार्थ उत्पाद-व्यय
-ध्रौव्यरूप परिणमते हैं, सो सब पदार्थ सिद्धोंके ज्ञान-गोचर हैं ज्ञेयाकार ज्ञानकी परिणति है,
सो जब ज्ञेय-पदार्थमें उत्पाद-व्यय हुआ, तब ज्ञानमें सब प्रतिभासित हुआ, इसलिये ज्ञानकी
परिणतिकी अपेक्षा उत्पाद-व्यय जानना
अथवा जब सिद्ध हुए, तब संसार-पर्यायका विनाश
हुआ, सिद्धपर्यायका उत्पाद हुआ, तथा द्रव्य स्वभावसे सदा ध्रुव ही हैं सिद्धोंके जन्म, जरा,
मरण नहीं हैं, सदा अविनाशी हैं सिद्धका स्वरूप सब उपाधियोंसे रहित है, वही उपादेय है,
यह भावार्थ जानना ।।५६।।
आगे द्रव्य, गुण, पर्यायका स्वरूप कहते हैं
गाथा५७
अन्वयार्थ :[यत् ] जो [गुणपर्याययुक्तं ] गुण और पर्यायोंकर सहित है, [तत् ]
౧. పాఠాన్తర :आगमप्रसिद्धया = आगमप्रसिद्धा.
౯౮ ]యోగీన్దుదేవవిరచిత: [ అధికార-౧ : దోహా-౫౭