अजरामरपदविपरीतजातिजरामरणरूपेण मकरादिजलचरसमूहेन संकीर्णे अनाकुलत्वलक्षण-
पारमार्थिकसुखविपरीतनानामानसादिदुःखरूपवडवानलशिखासंदीपिताभ्यन्तरे वीतरागनिर्विकल्प-
समाधिविपरीतसंकल्पविकल्पजालरूपेण कल्लोलमालासमूहेन विराजिते संसारसागरे वसतां तिष्ठतां
हे स्वामिन्ननन्तकालो गतः
जलसे पूर्ण (भरा हुआ), अजर अमर पदसे उलटा जन्म जरा (बुढ़ापा) मरणरूपी
जलचरोंके समूहसे भरा हुआ, अनाकुलता स्वरूप निश्चय सुखसे विपरीत, अनेक प्रकार
आधि व्याधि दुःखरूपी बड़वानलकी शिखाकर प्रज्वलित, वीतराग निर्विकल्पसमाधिकर
रहित, महान संकल्प विकल्पोंके जालरूपी कल्लोलोंकी मालाओंकर विराजमान, ऐसे
संसाररूपी समुद्रमें रहते हुए मुझे हे स्वामी, अनंतकाल बीत गया
पंचेन्द्री, सैनी, छह पर्याप्तियोंकी संपूर्णता होना दुर्लभ है, उसमें भी मनुष्य होना अत्यंत
दुर्लभ, उसमें आर्यक्षेत्र दुर्लभ, उसमेंसे उत्तम कुल ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य वर्ण पाना कठिन
है, उसमें भी सुन्दर रूप, समस्त पाँचों इन्द्रियोंकी प्रवीणता, दीर्घ आयु, बल, शरीर
అమర పదథీ విపరీత జన్మ, జరా, మరణరూప మగరాది జళచరసమూహథీ సంకీర్ణ అనాకులత్వ
జేనుం లక్షణ ఛే ఏవా పారమార్థిక సుఖథీ విపరీత అనేక ప్రకారనా మానసాది దుఃఖరూప
వడవానళశిఖాథీ అందరమాం ప్రజ్వలిత, వీతరాగ నిర్వికల్ప సమాధిథీ విపరీత
సంకల్పవికల్పజాళరూప కల్లోలోనా పంక్తిసమూహథీ విరాజిత ఏవా సంసారసాగరమాం వసతాం రహేతాం
హే స్వామీ! అనంతకాళ గయో, కారణ కే ఏకేన్ద్రియ, వికలేన్ద్రియ, పంచేన్ద్రియ, సంజ్ఞీ, పర్యాప్త,
మనుష్యత్వ, ఆర్యక్షేత్ర, ఉత్తమకుళ, సుందరరూప, ఇన్ద్రియపటుతా, నిర్వ్యాధి ఆయుష్య, ఉత్తమబుద్ధి,