Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Telugu transliteration). Gatha-15 (Adhikar 1) Paramatmana Lakshan.

< Previous Page   Next Page >


Page 39 of 565
PDF/HTML Page 53 of 579

background image
Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
శ్రీ దిగంబర జైన స్వాధ్యాయమందిర ట్రస్ట, సోనగఢ - ౩౬౪౨౫౦
ఛే తే పరమాత్మా ఛే ఏమ కహే ఛే :
భావార్థ :జేణే దేహ, రాగాదిక సమస్త పరద్రవ్యనే ఛోడీనే జ్ఞానావరణాది ద్రవ్యకర్మ,
భావకర్మ రహిత వర్తతా థకా కేవళజ్ఞానథీ రచాయేల, ఆత్మానే ప్రాప్త కర్యో ఛే తేనేఏవా ఆత్మానే
-పరమాత్మానే హే ప్రభాకరభట్ట! తుం మాయా, మిథ్యాత్వ, నిదాన, ఏ త్రణ శల్యనా స్వరూపథీ మాండీనే
సమస్తవిభావపరిణామ రహిత మన వడే జాణ. అహీం ఉక్తలక్షణయుక్త పరమాత్మా ఉపాదేయ ఛే, అనే
परमात्मा भवतीति कथयति
१५) अप्पा लद्धउ णाणमउ कम्मविमुक्केँ जेण
मेल्लिवि सयलु वि दव्वु परु सो परु मुणहि मणेण ।।१५।।
आत्मा लब्धो ज्ञानमयः कर्मविमुक्ते न येन
मुक्त्वा सकलमपि द्रव्यं परं तं परं मन्यस्व मनसा ।।१५।।
अप्पा लद्धउ णाणमउ कम्मविमुक्कें जेण आत्मा लब्धः प्राप्तः किंविशिष्टः ज्ञानमयः
केवलज्ञानेन निर्वृत्तः कथंभूतेन सता ज्ञानावरणादिद्रव्यकर्मभावकर्मरहितेन येन किं कृत्वात्मा
लब्धः मेल्लिवि सयलु वि दव्वु परु सो परु मुणहि मणेण मुक्त्वा परित्यज्य किम् परं
द्रव्यं देहरागादिकम् सकलं कतिसंख्योपेतं समस्तमपि तमित्थंभूतमात्मानं परं परमात्मानमिति
मन्यस्व जानीहि हे प्रभाकरभट्ट केन कृत्वा मायामिथ्यानिदानशल्यत्रयस्वरूपादिसमस्तविभाव-
परिणामरहितेन मनसेति अत्रोक्त लक्षणपरमात्मा उपादेयो ज्ञानावरणादिसमस्तविभावरूपं परद्रव्यं
అధికార-౧ : దోహా-౧౫ ]పరమాత్మప్రకాశ: [ ౩౯
लिया है, वही परमात्मा है, ऐसा कहते हैं
गाथा१५
अन्वयार्थ :[येन ] जिसने [कर्मविमुक्त ेन ] ज्ञानावरणादि कर्मोंका नाश करके
[सकलमपि परं द्रव्यं ] और सब देहादिक परद्रव्योंको [मुक्त्वा ] छोड़ करके [ज्ञानमयः ]
केवलज्ञानमयी [आत्मा ] आत्मा [लब्धः ] पाया है, [तं ] उसको [मनसा ] शुद्ध मनसे [परं ]
परमात्मा [मन्यस्व ] जानो
भावार्थ :जिसने देहादिक समस्त परद्रव्यको छोड़कर ज्ञानावरणादि, द्रव्यकर्म,
रागादिक भावकर्म, शरीरादि नोकर्म इन तीनोंसे रहित केवलज्ञानमयी अपने आत्माका लाभ कर
लिया है, ऐसे आत्माको हे प्रभाकरभट्ट, तू माया, मिथ्या, निदानरूप शल्य वगैरह समस्त विभाव
(विकार) परिणामोंसे रहित निर्मल चित्तसे परमात्मा जान, तथा केवलज्ञानादि गुणोंवाला