Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Telugu transliteration). Gatha-26 (Adhikar 1) Shaktirupe Badha Jivona Sharirama Parmatma Virajaman Chhe.

< Previous Page   Next Page >


Page 52 of 565
PDF/HTML Page 66 of 579

background image
Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
శ్రీ దిగంబర జైన స్వాధ్యాయమందిర ట్రస్ట, సోనగఢ - ౩౬౪౨౫౦
देवस्त्रिभुवनाराध्यः स एव परमपदे मोक्षे निवसति यत्पदं कथंभूतम् त्रैलोक्यस्यावसानमिति
अत्र तदेव मुक्तजीवसद्रशं स्वशुद्धात्मस्वरूपमुपादेयमिति भावार्थः ।।२५।। एवं
त्रिविधात्मकथनप्रथममहाधिकारमध्ये मुक्तिगतसिद्धजीवव्याख्यानमुख्यत्वेन दोहकसूत्रदशकं गतम्
अत ऊर्ध्वं प्रक्षेपपञ्चक मन्तर्भूतचतुर्विंशतिसूत्रपर्यन्तं याद्रशो व्यक्तिरूपः परमात्मा
मुक्तौ तिष्ठति ताद्रशः शुद्धनिश्चयनयेन शक्तिरूपेण देहेपि तिष्ठतीति कथयन्ति तद्यथा
२६) जेहउ णिम्मलु णाणमउ सिद्धिहिँ णिवसइ देउ
तेहउ णिवसइ बंभु परु देहहँ मं करि भेउ ।।२६।।
याद्रशो निर्मलो ज्ञानमयः सिद्धौ निवसति देवः
ताद्रशो निवसति ब्रह्मा परः देहे मा कुरु भेदम् ।।२६।।
ఆ ప్రమాణే జేమాం త్రణ ప్రకారనా ఆత్మానుం కథన ఛే ఏవా ప్రథమ మహాధికారమాం ముక్తిగత
సిద్ధ జీవనా వ్యాఖ్యాననీ ముఖ్యతాథీ దశ దోహకసూత్రో సమాప్త థయాం.
త్యార పఛీ పాంచ ప్రక్షేపక సహిత చోవీస సూత్రో సుధీ జేవో వ్యక్తిరూప పరమాత్మా
ముక్తిమాం ఛే తేవో జ శుద్ధ నిశ్చయనయథీ శక్తిరూపే దేహమాం పణ ఛే ఏమ కహే ఛే. తే ఆ
ప్రమాణే :
౫౨ ]యోగీన్దుదేవవిరచిత: [ అధికార-౧ : దోహా-౨౬
जैसा सिद्धलोकमें विराज रहा है, वैसा ही हंस (आत्मा) इस घट (देह) में विराजमान है ।।२५।।
इस प्रकार जिसमें तीन तरहके आत्माका कथन है, ऐसे प्रथम महाधिकारमें मुक्तिको
प्राप्त हुए सिद्धपरमात्माके व्याख्यानकी मुख्यताकर चौथे स्थलमें दश दोहा-सूत्र कहे आगे पाँच
क्षेपक मिले हुए चौबीस दोहोंमें जैसा प्रगटरूप परमात्मा मुक्तिमें है, वैसा ही शुद्धनिश्चयनयकर
देहमें भी शक्तिरूप है, ऐसा कहते हैं
गाथा२६
अन्वयार्थ :[यादृशः ] जैसा केवलज्ञानादि प्रगटस्वरूप कार्यसमयसार [निर्मलः ]
उपाधि रहित भावकर्म-द्रव्यकर्म-नोकर्मरूप मलसे रहित [ज्ञानमयः ] केवलज्ञानादि अनंत
गुणरूप सिद्धपरमेष्ठी [देवः ] देवाधिदेव परम आराध्य [सिद्धौ ] मुक्तिमें [निवसति ] रहता है,
[ता
द्रशः ] वैसा ही सब लक्षणों सहित [परः ब्रह्मा ] परब्रह्म, शुद्ध, बुद्ध, स्वभाव परमात्मा,
పాఠాన్తర :मन्तर्भूत-मन्तर्भाव