११६ ] [ प्रवचन रत्नाकर भाग-२
‘तेवी रीते शरीरना गुणो जे शुकल-रक्तपणुं वगेरे, तेमनो तीर्थंकर- केवळीपुरुषमां अभाव छे.’ जुओ, भगवान राता छे, धोळा छे एम जे रातो, धोळो, पीळो रंग छे ए कांई भगवानना आत्मामां नथी. ‘माटे निश्चयथी शरीरना शुकल- रक्तपणुं वगेरे गुणोनुं स्तवन करवाथी तीर्थंकर-केवळीपुरुषनुं स्तवन नथी थतुं, तीर्थंकर-केवळीपुरुषना गुणोनुं स्तवन करवाथी ज तीर्थंकर-केवळीपुरुषनुं स्तवन थाय छे.’ गुणोनुं स्तवन (आगळ) लेशे. भगवानना गुणो एटले ज्ञायकस्वरूप पोताना ज गुणो ए रीते (आगळ लेशे).
[प्रवचन नं. ६९ * दिनांक ७-२-७६]
ॐ