Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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सुधी रहेशे. तद्द उपरांत पूज्य बेनश्रीनां वचनामृत नं. २७मां उल्लेख छे के “तेमनो (पूज्य गुरुदेवश्रीनो) महिमा आजे तो गवाय छे परंतु हजारो वर्ष सुधी गवाशे.” खरेखर ज्ञानीओना निर्मळ श्रुतज्ञानमां भाविप्रसंगो केवळज्ञानवत् प्रतिभासे छे, कारण के आ ट्रस्टनी योजना पूज्य गुरुदेवश्रीनां पांच परमागमो उपर थयेलां प्रवचनो उपरांत बीजा पण अनेक शास्त्रो उपर थयेलां प्रवचनो क्रमशः प्रसिद्ध करवानी भावना समाहित छे. ए रीते हजारो प्रवचनोनुं संकलन प्रथम संस्करणमां ज अनेक ग्रंथोरूपे पुस्तकारूढ थशे अने तेवा प्रत्येक पुस्तकोनुं संस्करण (आवृत्ति) हजारोनी संख्यामां रहेशे. ए रीते हिंदी अने गुजराती भाषामां तात्कालिक प्रकाशन थतां पुस्तकोनी संख्या लाखोमां थवा जाय छे अने तेनी परंपरा चाले तो उपरोक्त ज्ञानीओनां वचनो सिद्ध थवानुंप्रत्यक्ष जणाई आवे छे.

कार्यवाहीः

श्री समयसार परमागम उपरनां पूज्य गुरुदेवश्रीनां अढारमी वखतना थयेल मंगळ प्रवचनो ते समये टेपरेकोर्डर उपर अंकित करी लेवामां आव्यां हतां. आ ध्वनिमुद्रित प्रवचनो टेप उपरथी सांभळीने क्रमशः लेखबद्ध करवामां आव्या छे. एक ज टेपने वारंवार सांभळीने लेखन करवामां आवेल छे. तेम छतां तेमां कांई त्रुटी रही जवा न पामे ते हेतुथी लखनार सिवाय तपासनारे फरीथी सघळां प्रवचनो टेप उपरथी सांभळीने तेनी चकासणी करेल छे. आ प्रमाणे तैयार थयेलां प्रवचनोना यथायोग्य सुसंगत फकरा पाडी तेने फरीथी भाईश्री रमणलाल माणेकलाल शाहे लिपिबद्ध करी आपेल छे. तथा ते लिपिबद्ध थयेलां प्रवचनोनी पण छेल्ले विद्वान भाईश्री वजुभाई द्वारा पूरती चकासणी करवामां आवेल छे. आ रीते पूज्य गुरुदेवश्रीनां प्रवचनोमां व्यक्त थयेल भावो सारी रीते यथास्थित जळवाई रहे तेनी पूरेपूरी काळजी लेवामां आवी छे.

उपरोक्त रीते तैयार थयेलां प्रवचनो उपरथी मुद्रण माटे मोकलवानुं प्रवचन- साहित्य प्रसिद्ध तत्वचिंतक अने प्रवक्ता डो. हुकमचंदजी भारिल्ल समक्ष वांची संभळाववामां आवेल छे अने त्यार बाद तेनुं मुद्रण थयेल छे.

आभारः

उपर्युक्त कार्यवाहीमां अनेक मुमुक्षुओ तरफथी आ ट्रस्टने अत्यंत निस्पृहभावे सहयोग मळेलो छे तेनी साभार नोंध लेवामां आवे छे. जे जे मुमुक्षुओए प्रवचनो उतार्यो छे तेम ज उतारेलां प्रवचनोने तपासी आपेल छे अने आ कार्य खूब ज सावधानीथी