Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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समयसार गाथा प०-पप ] [ ९३ एकपणुं त्रणकाळमां थतुं नथी. माटे निमित्त छे तेथी पोतानामां परिणमन थाय छे एम छे ज नहि. शरीरनुं परिणमन, जीवनुं निमित्त छे तेथी थयुं छे के जीवनी अनुभूतिनुं परिणमन, निमित्त छे माटे थयुं छे एम नथी. शरीरनी परिणति शरीरमां अने आत्मानी परिणति आत्मामां छे. आत्माना निमित्ते शरीरमां परिणति थई छे एम नथी. तथा कर्मना उद्रयनो अभाव छे माटे अनुभूतिनुं परिणमन थयुं छे एम पण नथी. वस्तुनुं स्वरूप ज आवुं छे. कोई वखते निमित्तथी अने कोई वखते उपादानथी कार्य थाय ए स्याद्वाद नथी पण फुदडीवाद छे, मिथ्यावाद छे. त्रणे काळ अने त्रणे लोकमां चैतन्यनी के जडनी क्रमबद्ध परिणति पोतपोताना उपादानथी थाय छे. एमां परनी रंचमात्र अपेक्षा नथी. उपादाननुं परिणमन निमित्तथी हंमेशां निरपेक्ष ज थाय छे.

अहीं तो विशेष कार्मण शरीरनी वात लेवी छे. कार्मण शरीर निमित्त छे माटे जीवमां (रागादि) परिणमन थाय छे के जीवमां स्वानुभूति प्रगट थई माटे कार्मण शरीर अकर्म अवस्था रूप थाय छे एम नथी. एवो ए बे वच्चे कोइ संबंध नथी. अहीं कहे छे के कार्मण शरीर आदि जीवने नथी कारण के ते पुद्गलना परिणाममय होवाथी अनुभूतिथी भिन्न छे. कहेवुं छे तो आत्माथी भिन्न पण अहीं अनुभूतिथी भिन्न कह्युं केमके ए सर्व शरीरथी भिन्न पडी निज चैतन्यस्वभावी आत्मानुं लक्ष करतां जे स्वानुभूति प्रगट थई ते स्वानुभूतिमां हुं देहथी भिन्न छुं एवो निज चैतन्यस्वरूप वस्तुनो अनुभव थाय छे. बहु झीणी वात, भाई.

जुओ, परमाणु अने आत्मानो स्वतंत्र निर्बाध परिणमनस्वभाव होवाथी तेओ क्रमप्रवाहरूपे निरंतर परिणम्या करे छे. तेमां बीजो होय तो परिणमे एम छे ज नहि. काळद्रव्य न होय तो परिणमन न थाय एम ज्यां कह्युं छे त्यां तो (यथार्थ निमित्तनुं ज्ञान करावी) काळद्रव्यने सिद्ध करवानुं प्रयोजन छे. खरेखर तो सर्व द्रव्योनो स्वतंत्र परिणमनस्वभाव छे. त्यां कोई कहे के काळद्रव्य परिणमनमां निमित्त तो छे ने? (निमित्त छे एनी कोण ना पाडे छे?) पण तेथी सर्व द्रव्योमां थतुं परिणमन शुं काळद्रव्यने लीधे छे? (ना, एम नथी). दरेक पदार्थनुं परिणमन पोताना कारणे ज छे. दरेक पदार्थ ते ते समये क्रमसर-क्रमबद्ध प्रवाहरूपे परिणमे छे.

प्रवचनसार गाथा ९३मां द्रव्य संबंधी विस्तारसमुदाय अने आयतसमुदायनी वात आवे छे. द्रव्यमां जे अनंतगुणो एक साथे छे ते विस्तारसमुदाय छे अने क्रमप्रवाहरूपे दोडती जे पर्यायो छे ते आयतसमुदाय छे. त्यां पर्यायो जे छे ते धारावही दोडता क्रमबद्ध-प्रवाहरूपे छे. वळी एमां ज (प्रवचनसारमां) गाथा १०२मां दरेक पदार्थनी जन्मक्षणनी वात छे. एटले के पदार्थमां जे ते पर्यायनो जन्म-उत्पत्ति थवानो पोतानो काळ छे तेथी ते थाय छे. निमित्त छे माटे ते पर्याय उत्पन्न थाय छे एम नथी. निमित्त