Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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६४ [ समयसार प्रवचन

परस्पर स्पर्शतां ज नथी, पण परस्पर सन्निकट छे, नजीक छे एटले स्पर्शे छे एम कहेवामां आवे छे.

हवे क्षेत्रथी वात करे छे. ‘अत्यंत’ निकट एकक्षेत्रावगाहरूपे रह्या छे तोपण जेओ सदाकाळ पोताना स्वरूपथी पडता नथी, ज्यां आकाशनो एक प्रदेश छे त्यां अनंत आत्मा छे. (एक आत्माना असंख्यातमा भागना प्रदेशो एवा अनंत आत्माना असंख्यातमा भागना प्रदेशो आकाशना एक प्रदेशे छे). अत्यंत निकट एकक्षेत्रे आत्मा रह्यो होवा छतां आकाशने आत्मा अडतो नथी. ज्यां आकाश छे त्यां आत्मा छे, आत्मा छे त्यां आकाश छे, तोपण आत्मा पोतानुं क्षेत्र छोडीने आकाशना क्षेत्रमां जतो नथी, अने आकाश पोतानुं क्षेत्र छोडी आत्मामां आवतुं नथी. आकाशना एक प्रदेशे अनंत जीव, अनंत परमाणु, धर्म, अधर्म, काळाणु, बधां अत्यंत निकट रहेला छे. तोपण तेओ सदाकाळ पोताना स्वरूपथी पडता नथी. दरेक द्रव्य पोतपोताना स्वरूपमां ज रहे छे. एक ज क्षेत्रमां भेगा होवा छतां भिन्न रहे छे. पररूपे नहीं परिणमवाना कारणे अनंत व्यक्तिओ नाश पामती नथी. जेटली चीज संख्यामां छे तेटली संख्यामां कायम रहे छे. अनंत प्रगटता नाश पामती नथी एटले अनंत वस्तु अनंतपणे पोतानी रहे छे. जेटलां द्रव्यो छे तेमां एक पण द्रव्यनो नाश थतो नथी. बधां द्रव्यो टंकोत्कीर्ण जेवां छे तेवां स्थित रहे छे, टांकणाथी कोतरीने बनाव्यां होय तेवां शाश्वतरूपे रहे छे.

प्रवचनसार (गाथा ६७) मां आवे छे के विषयो शुं करे? शरीर, वाणी, मन, सारो आहार ईत्यादि तने शुं करे? ए कांई जीवने विकार उपजावे छे? विषयो तो अकिंचित्कर छे. ए तने अडता नथी, तुं एने अडतो नथी. विषयो जीवने राग उपजावे छे एम छे ज नहीं. राग तो जीव पोते करे छे तो थाय छे. सुंवाळा माखण जेवा कोमळ बाळकना शरीरने शुं आत्मा चुंबन करे छे? अहीं ना पाडे छे. अहीं तो कहे छे के होठ एने अडतोय नथी, अने एथी तने राग थाय छे एमेय नथी. राग तो तुं स्वयं करे तो थाय छे. आवी वात छे, भाई!

वळी ‘समस्त विरुद्ध कार्य तथा अविरुद्ध कार्यना हेतुपणाथी जेओ हंमेशा विश्वने उपकार करे छे-टकावी राखे छे.’ समस्त विरुद्ध कार्य एटले के द्रव्यनी पर्यायमां जे उत्पाद, व्यय छे ते परस्पर विरुद्ध छे. धवलमां आवे छे के एक समयनी पर्यायमां उत्पाद-व्यय, उपजवुं अने विणसवुं एम बे थाय छे ते विरुद्ध छे जे समये द्रव्यनी वर्तमान पर्याय उत्पन्न थाय ते ज समये पूर्वनी पर्यायनो व्यय थाय छे. उत्पाद ते भावरूप छे अने व्यय ते अभावरूप छे. तेथी उत्पाद -व्ययने विरुद्ध कहेवामां आवे छे. एम