gAthA 113 thI 11p
न च जीवप्रत्यययोरेकत्वम्
जह जीवस्स अणण्णुवओगो कोहो वि तह जदि अणण्णो।
जीवस्साजीवस्स य एवमणण्णत्तमावण्णं।। ११३ ।।
जीवस्साजीवस्स य एवमणण्णत्तमावण्णं।। ११३ ।।
एवमिह जो दु जीवो सो चेव दु णियमदो तहाऽजीवो।
अयमेयत्ते दोसो पच्चयणोकम्मकम्माणं।। ११४ ।।
अयमेयत्ते दोसो पच्चयणोकम्मकम्माणं।। ११४ ।।
अह दे अण्णो कोहो अण्णुवओगप्पगो हवदि चेदा।
जह कोहो तह पच्चय कम्मं णोकम्ममवि अण्णं।। ११५ ।।
जह कोहो तह पच्चय कम्मं णोकम्ममवि अण्णं।। ११५ ।।
यथा जीवस्यानन्य उपयोगः क्रोधोऽपि तथा यद्यनन्यः।
जीवस्याजीवस्य चैवमनन्यत्वमापन्नम् ।। ११३ ।।
जीवस्याजीवस्य चैवमनन्यत्वमापन्नम् ।। ११३ ।।
एवमिह यस्तु जीवः स चैव तु नियमतस्तथाऽजीवः।
अयमेकत्वे दोषः प्रत्ययनोकर्मकर्मणाम्।। ११४ ।।
अयमेकत्वे दोषः प्रत्ययनोकर्मकर्मणाम्।। ११४ ।।
अथ ते अन्यः क्रोधोऽन्यः उपयोगात्मको भवति चेतयिता।
यथा क्रोधस्तथा प्रत्ययाः कर्म नोकर्माप्यन्यत्।। ११५ ।।
यथा क्रोधस्तथा प्रत्ययाः कर्म नोकर्माप्यन्यत्।। ११५ ।।
vaLI jIvane ane te pratyayone ekapaNun nathI em have kahe chhe-
upayog jem ananya jIvano, krodh tem ananya jo,
to doSh Ave jIv tem ajIvanA ekatvano. 113.
to doSh Ave jIv tem ajIvanA ekatvano. 113.
to jagatamAn je jIv te ja ajIv paN nishchay Thare;
nokarma, pratyay, karmanA ekatvamAn paN doSh e. 114.
nokarma, pratyay, karmanA ekatvamAn paN doSh e. 114.
jo krodh e rIt anya, jIv upayogaAtmak anya chhe,
to krodhavat nokarma, pratyay, karma te paN anya chhe. 11p.
to krodhavat nokarma, pratyay, karma te paN anya chhe. 11p.
gAthArtha– [यथा] jem [जीवस्य] jIvane [उपयोगः] upayog [अनन्यः] ananya arthAt ekarUp chhe [तथा] tem [यदि] jo [क्रोधः अपि] krodh paN [अनन्यः] ananya hoy to [एवम्] e rIte [जीवस्य] jIvane [च] ane [अजीवस्य] ajIvane [अनन्यत्वम्] ananyapaNun [आपन्नम्] AvI paDayun. [एवम् च] em thatAn, [इह]