Pravach Ratno Part 1-Gujarati (Devanagari transliteration).

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प्रास्ताविकः
द्वितीय आवृत्ति प्रसंगे


प्रस्तुत पुस्तकनी प्रथम आवृत्ति राजकोटना
पंचकल्याणकना पावन प्रसंगे प्रकाशित थयेल. तेमां
दर्शावेल ज्ञानना स्व-पर प्रकाशक स्वभावनी पू.
गुरुदेवश्री द्वारा थयेल चोखवट तथा ज्ञान तो सदाकाळ
ज्ञाननेज जाणे छे ते तथ्य तेमज अनंत सामर्थ्य
संपन्न भगवान आत्माना अमूर्तिक आत्म प्रदेशोमां
स्वच्छत्वना परिणमनरूप स्व-परना प्रतिभासने
कारणे स्व-पर संबंधीनुं ज्ञान थवामां ज्ञाननी पर्यायने
परनी सापेक्षता के पर सन्मुखतानी आवश्यक्ता रहेती
नथी ते वास्तविक्ताना खुलासाथी ज्ञाननी जाणन
प्रक्रियानी घणी स्पष्ट चोखवट थई. आधाररूपे पू.
गुरुदेवश्रीना मंगल प्रवचनो वांची घणा जीवोए
भारतना अन्य अन्य स्थळोएथी खुशी व्यक्त करी.
गुरुभक्त पंडितजनोना हर्षयुक्त पत्रो आववाथी आ
विषयनी सारी चोखवट थई एम मने लाग्युं. आवो
प्रयास फळदायी नीवडयो.
प्रथम आवृत्तिनी बधी प्रतो वहेंचाई जतां
आ बीजी आवृत्ति पू. गुरुदेवश्रीना १९मा समाधिदिने
प्रकाशित करतां पूज्यश्रीने श्रद्धासुमन समर्पित करुं छुं
अने एवी आशा राखुं छुं के पूज्य गुरुदेवश्रीना जे
प्रवचनो आ पुस्तकमां संकलित करवामां आवेल छे ते
सर्व निज हिताकांक्षी आत्मार्थी जीवोने ज्ञेय संबंधीनी
अनादिनी भ्रमणामांथी मुक्त करीने स्वज्ञेयने स्वीकारी
ध्येयपूर्वक ज्ञेयरूप परिणमन थवामां उपकारी बनशे.
दिनांकः र८-११-१९९८
पूज्य गुरुदेवश्रीनो समाधिदिन
वजुभाई अजमेरा
राजकोट