Pravachansar-Gujarati (English transliteration). Gatha: 80.

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kahAnajainashAstramALA ]
gnAnatattva-pragnApan
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समासन्नमहादुःखसङ्कटः कथमात्मानमविप्लुतं लभते अतो मया मोहवाहिनीविजयाय बद्धा
कक्षेयम् ।।७९।।
अथ कथं मया विजेतव्या मोहवाहिनीत्युपायमालोचयति
जो जाणदि अरहंतं दव्वत्तगुणत्तपज्जयत्तेहिं
सो जाणदि अप्पाणं मोहो खलु जादि तस्स लयं ।।८०।।
यो जानात्यर्हन्तं द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः
स जानात्यात्मानं मोहः खलु याति तस्य लयम् ।।८०।।

यो हि नामार्हन्तं द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः परिच्छिनत्ति स खल्वात्मानं परिच्छिनत्ति, व्यतिरेकरूपेण दृढयतिचत्ता पावारंभं पूर्वं गृहवासादिरूपं पापारम्भं त्यक्त्वा समुट्ठिदो वा सुहम्मि चरियम्हि सम्यगुपस्थितो वा पुनः क्व शुभचरित्रे ण जहदि जदि मोहादी न त्यजति यदि चेन्मोहरागद्वेषान् ण लहदि सो अप्पगं सुद्धं न लभते स आत्मानं शुद्धमिति इतो विस्तरःकोऽपि मोक्षार्थी परमोपेक्षालक्षणं परमसामायिकं पूर्वं प्रतिज्ञाय पश्चाद्विषयसुखसाधकशुभोपयोगपरिणत्या मोहितान्तरङ्गः सन् निर्विकल्पसमाधिलक्षणपूर्वोक्तसामायिकचारित्राभावे सति निर्मोहशुद्धात्मतत्त्वप्रति- पक्षभूतान् मोहादीन्न त्यजति यदि चेत्तर्हि जिनसिद्धसदृशं निजशुद्धात्मानं न लभत इति सूत्रार्थः ।।७९।। nikaT chhe evo, shuddha (vikAr rahit, nirmaL) AtmAne kem pAme? (na ja pAme.) tethI mohanI senA upar vijay meLavavA mATe men kamar kasI chhe. 79.

have, ‘mAre mohanI senAne kaI rIte jItavI’em (tene jItavAno) upAy vichAre chhe

je jANato arhantane guN, dravya ne paryayapaNe,
te jIv jANe Atmane, tasu moh pAme lay khare. 80.

anvayArtha[यः] je [अर्हन्तं] arhantane [द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः] dravyapaNe, guNapaNe ane paryAyapaNe [जानाति] jANe chhe, [सः] te [आत्मानं] (potAnA) AtmAne [जानाति] jANe chhe ane [तस्य मोहः] teno moh [खलु] avashya [लयं याति] lay pAme chhe.

TIkAje kharekhar arhantane dravyapaNe, guNapaNe ane paryAyapaNe jANe chhe te