Pravachansar (Hindi). Gatha: 165.

< Previous Page   Next Page >


Page 315 of 513
PDF/HTML Page 348 of 546

 

background image
द्वितीयनामाभिधेयेन शक्तिविशेषेण वर्धते किंपर्यन्तम् यावदनन्तसंख्यानम् कस्मात् पुद्गल-
द्रव्यस्य परिणामित्वात्, परिणामस्य वस्तुस्वभावादेव निषेधितुमशक्यत्वादिति ।।१६४।। अथात्र
कीद्रशात्स्निग्धरूक्षत्वगुणात् पिण्डो भवतीति प्रश्ने समाधानं ददातिबज्झंति हि बध्यन्ते हि
स्फु टम् के कर्मतापन्नाः अणुपरिणामा अणुपरिणामाः अणुपरिणामशब्देनात्र परिणामपरिणता
अणवो गृह्यन्ते कथंभूताः णिद्धा वा लुक्खा वा स्निग्धपरिणामपरिणता वा रूक्षपरिणामपरिणता
पुनरपि किंविशिष्टाः समा व विसमा वा द्विशक्तिचतुःशक्तिषट्शक्त्यादिपरिणतानां सम
इति संज्ञा, त्रिशक्तिपञ्चशक्तिसप्तशक्यादिपरिणतानां विषम इति संज्ञा पुनश्च किंरूपाः समदो
दुराधिगा जदि समतः समसंख्यानात्सकाशाद् द्वाभ्यां गुणाभ्यामधिका यदि चेत् कथं द्विगुणाधिकत्वमिति
अथात्र कीद्रशात्स्निग्धरूक्षत्वात्पिण्डत्वमित्यावेदयति
णिद्धा वा लुक्खा वा अणुपरिणामा समा व विसमा वा
समदो दुराधिगा जदि बज्झंति हि आदिपरिहीणा ।।१६५।।
स्निग्धा वा रूक्षा वा अणुपरिणामाः समा वा विषमा वा
समतो द्वयधिका यदि बध्यन्ते हि आदिपरिहीणाः ।।१६५।।
कहानजैनशास्त्रमाला ]
ज्ञेयतत्त्व -प्रज्ञापन
३१५
तक व्याप्त होनेवाला स्निग्धत्व अथवा रूक्षत्व परमाणुके होता है क्योंकि परमाणु अनेक
प्रकारके गुणोंवाला है
भावार्थ :परमाणु परिणमनवाला है, इसलिये उसके स्निग्धत्व और रूक्षत्व एक
अविभागप्रतिच्छेदसे लेकर अनन्त अविभाग प्रतिच्छेदों तक तरतमताको प्राप्त होते हैं
अब यह बतलाते हैं कि कैसे स्निग्धत्वरूक्षत्वसे पिण्डपना होता है :
अन्वयार्थ :[अणुपरिणामाः ] परमाणुपरिणाम, [स्निग्धाः वा रूक्षाः वा ] स्निग्ध
हों या रूक्ष हाें [समाः विषमाः वा ] सम अंशवाले हों या विषम अंशवाले हों [यदि समतः
१ किसी गुणमें (अर्थात् गुणकी पर्यायमें) अंशकल्पना करने पर, उसका जो छोटेसे छोटा (निरंश) अंश
होता है उसे उस गुणका (अर्थात् गुणकी पर्यायका) अविभाग प्रतिच्छेद कहा जाता है (बकरीसे गायके
दूधमें और गायसे भैंसके दूधमें सचिक्कणताके अविभागी प्रतिच्छेद अधिक होते हैं धूलसे राखमें और
राखसे वालूमें रूक्षताके अविभागी प्रतिच्छेदक अधिक होते है )
हो स्निग्ध अथवा रूक्ष अणुपरिणाम, सम वा विषम हो,
बंधाय जो गुणद्वय अधिक; नहि बंध होय जघन्यनो. १६५.