मयगुणकार्मुकान्तरालवर्त्यगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थासंहितावस्थलक्ष्योन्मुखालक्ष्योन्मुख-
प्राक्त नविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैः परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्चास्ति-
त्वनास्तित्ववदवक्त व्यम् ९ । विकल्पनयेन शिशुकुमारस्थविरैकपुरुषवत् सविकल्पम् १० ।
अविकल्पनयेनैकपुरुषमात्रवदविकल्पम् ११ । नामनयेन तदात्मवत् शब्दब्रह्मामर्शि १२ ।
स्थापनानयेन मूर्तित्ववत् सकलपुद्गलालम्बि १३ । द्रव्यनयेन माणवकश्रेष्ठिश्रमणपार्थिव-
वदनागतातीतपर्यायोद्भासि १४ । भावनयेन पुरुषायितप्रवृत्तयोषिद्वत्तदात्वपर्यायोल्लासि १५ ।
पुद्गलपरमाणुवत्परमौदारिकशरीरे वीतरागसर्वज्ञवद्वा विवक्षितैकदेहस्थितम् । उपचरितासद्भूतव्यवहारनयेन
काष्ठासनाद्युपविष्टदेवदत्तवत्समवसरणस्थितवीतरागसर्वज्ञवद्वा विवक्षितैकग्रामगृहादिस्थितम् । इत्यादि
परस्परसापेक्षानेकनयैः प्रमीयमाणं व्यवह्रियमाणं क्रमेण मेचकस्वभावविवक्षितैकधर्मव्यापकत्वादेक-
४९६प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
अपेक्षासे (१) अस्तित्ववाला, (२) नास्तित्ववाला तथा (३) अवक्तव्य है । ] ९.
आत्मद्रव्य विकल्पनयसे, बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे एक पुरुषकी भाँति, सविकल्प
है (अर्थात् आत्मा भेदनयसे, भेदसहित है, जैसे कि एक पुरुष बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे
भेदवाला है ।) १०.
आत्मद्रव्य अविकल्पनयसे, एक पुरुषमात्रकी भाँति, अविकल्प है (अर्थात् अभेदनयसे
आत्मा अभेद है, जैसे कि एक पुरुष बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे भेदरहित एक पुरुषमात्र
है ।) ११.
आत्मद्रव्य नामनयसे, नामवालेकी भाँति, शब्दब्रह्मको स्पर्श करनेवाला है (अर्थात्
आत्मा नामनयसे शब्दब्रह्मसे कहा जाता है, जैसे कि नामवाला पदार्थ उसके नामरूप शब्दसे
कहा जाता है ।) १२.
आत्मद्रव्य स्थापनानयसे, मूर्तिपनेकी भाँति, सर्व पुद्गलोंका अवलम्बन करनेवाला है
(अर्थात् स्थापनानयसे आत्मद्रव्यकी पौद्गलिक स्थापना की जा सकती है, मूर्तिकी भाँति) १३.
आत्मद्रव्य द्रव्यनयसे बालक सेठकी भाँति और श्रमण राजाकी भाँति, अनागत और
अतीत पर्यायसे प्रतिभासित होता है (अर्थात् आत्मा द्रव्यनयसे भावी और भूत पर्यायरूपसे
ख्यालमें आता है, जैसे कि बालक सेठपने स्वरूप भावी पर्यायरूपसे ख्यालमें आता है और
मुनि राजास्वरूप भूर्तपर्यायरूपसे आता है ।) १४.
आत्मद्रव्य भावनयसे, पुरुषके समान प्रवर्तमान स्त्रीकी भाँति, तत्काल (वर्तमान) की
पर्यायरूपसे उल्लसित – प्रकाशित – प्रतिभासित होता है (अर्थात् आत्मा भावनयसे वर्तमान
पर्यायरूपसे प्रकाशित होता है, जैसे कि पुरुषके समान प्रवर्तमान स्त्री पुरुषत्वरूपपर्यायरूपसे
प्रतिभासित होती है ।) १५.