प्राक्त नविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैः परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्चास्ति-
आत्मद्रव्य विकल्पनयसे, बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे एक पुरुषकी भाँति, सविकल्प है (अर्थात् आत्मा भेदनयसे, भेदसहित है, जैसे कि एक पुरुष बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे भेदवाला है ।) १०.
आत्मद्रव्य अविकल्पनयसे, एक पुरुषमात्रकी भाँति, अविकल्प है (अर्थात् अभेदनयसे आत्मा अभेद है, जैसे कि एक पुरुष बालक, कुमार और वृद्ध ऐसे भेदरहित एक पुरुषमात्र है ।) ११.
आत्मद्रव्य नामनयसे, नामवालेकी भाँति, शब्दब्रह्मको स्पर्श करनेवाला है (अर्थात् आत्मा नामनयसे शब्दब्रह्मसे कहा जाता है, जैसे कि नामवाला पदार्थ उसके नामरूप शब्दसे कहा जाता है ।) १२.
आत्मद्रव्य स्थापनानयसे, मूर्तिपनेकी भाँति, सर्व पुद्गलोंका अवलम्बन करनेवाला है (अर्थात् स्थापनानयसे आत्मद्रव्यकी पौद्गलिक स्थापना की जा सकती है, मूर्तिकी भाँति) १३.
आत्मद्रव्य द्रव्यनयसे बालक सेठकी भाँति और श्रमण राजाकी भाँति, अनागत और अतीत पर्यायसे प्रतिभासित होता है (अर्थात् आत्मा द्रव्यनयसे भावी और भूत पर्यायरूपसे ख्यालमें आता है, जैसे कि बालक सेठपने स्वरूप भावी पर्यायरूपसे ख्यालमें आता है और मुनि राजास्वरूप भूर्तपर्यायरूपसे आता है ।) १४.
आत्मद्रव्य भावनयसे, पुरुषके समान प्रवर्तमान स्त्रीकी भाँति, तत्काल (वर्तमान) की पर्यायरूपसे उल्लसित – प्रकाशित – प्रतिभासित होता है (अर्थात् आत्मा भावनयसे वर्तमान पर्यायरूपसे प्रकाशित होता है, जैसे कि पुरुषके समान प्रवर्तमान स्त्री पुरुषत्वरूपपर्यायरूपसे प्रतिभासित होती है ।) १५.