मुद्रित व शुद्धात्मद्रव्यप्रधान अध्यात्मतत्त्वामृतका स्वयं पान करके, इस कलिकालमें
अध्यात्मसाधनाके पावन पथका पुनः समुद्योत किया है, तथा रूढिप्रस्त साम्प्रदायिकतामें फँसे
हुए जैनजगत पर, द्रव्यदृष्टिप्रधान स्वानुभूतिमूलक वीतराग जैनधर्मको प्रकाशमें लाकर,
अनुपम, अद्भुत एवं अनन्त – अनन्त उपकार किये हैं
। ऐसे परमोपकारी, स्वानुभवरसभीनी
अध्यात्मविद्याके दाता, पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीने इस प्रवचनसार परमागम पर
अनेक बार प्रवचनों द्वारा उसके गहन तात्त्विक रहस्योंका उद्घाटन किया है । इस शताब्दीमें
अध्यात्मरुचिका एवं अध्यात्मतत्त्वज्ञानका जो नवयुग प्रवर्त रहा है उसका श्रेय पूज्य
गुरुदेवश्रीको ही है ।
पूज्य गुरुदेवश्रीके पुनीत प्रतापसे ही मुमुक्षुजगतको जैन अध्यात्मश्रुतके अनेक
परमागमरत्न अपनी मातृभाषामें प्राप्त हुए हैं । श्री प्रवचनसारका गुजराती अनुवाद (जिसका
यह हिन्दी रूपान्तर है) भी, श्री समयसारके गुजराती गद्यपद्यानुवादकी भाँति, प्रशममूर्ति
भगवती पूज्य बहिनश्री चम्पाबहिनके बड़े भाई अध्यात्मतत्त्वरसिक, विद्वद्रत्न, आदरणीय पं०
श्री हिम्मतलाल जेठालाल शाहने, पूज्य गुरुदेव द्वारा दिये गये शुद्धात्मदर्शी उपदेशामृतबोध
द्वारा शास्त्रोंके गहन भावोंको खोलनेकी सूझ प्राप्त कर, अध्यात्मजिनवाणीकी अगाध भक्तिसे
सरल भाषामें — आबालवृद्धग्राह्य, रोचक एवं सुन्दर ढंगसे — कर दिया है । सम्माननीय
अनुवादक महानुभाव अध्यात्मरसिक विद्वान होनेके अतिरिक्त तत्त्वविचारक, गम्भीर आदर्श
आत्मार्थी, वैराग्यशाली, शान्त, गम्भीर, निःस्पृह, निरभिमानी एवं विवेकशील सज्जन हैं; तथा
उनमें अध्यात्मरसभरा मधुर कवित्व भी है कि जिसके दर्शन उनके पद्यानुसार एवं अन्य
स्तुतिकाव्योंसे स्पष्टतया होते है । वे बहुत वर्षों तक पूज्य गुरुदेवके समागममें रहे हैं, और
पूज्य गुरुदेवके अध्यात्मप्रवचनोंके श्रवण एवं स्वयंके गहन मनन द्वारा उन्होंने अपनी
आत्मार्थिताकी बहुत पुष्टि की है । तत्त्वार्थके मूल रहस्यों पर उनका मनन अति गहन है ।
शास्त्रकार एवं टीकाकार उभय आचार्यभगवन्तोंके हृदयके गहन भावोंकी गम्भीरताको
यथावत् सुरक्षित रखकर उन्होंने यह शब्दशः गुजराती अनुवाद किया है; तदुपरान्त मूल
गाथासूत्रोंका भावपूर्ण मधुर गुजराती पद्यानुवाद भी (हरिगीत छन्दमें) उन्होंने किया है, जो
इस अनुवादकी अतीव अधिकता लाता है और स्वाध्यायप्रेमियोंको बहुत ही उपयोगी होता
है । तदुपरान्त जहाँ आवश्यकता लगी वहाँ भावार्थ द्वारा या पदटिप्पण द्वारा भी उन्होंने अति
सुन्दर स्पष्टता की है ।
इस प्रकार भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेवके समयसारादि उत्तमोत्तम परमागमोंके अनुवादका
परम सौभाग्य, पूज्य गुरुदेवश्री एवं पूज्य बहिनश्रीकी परम कृपासे, आदरणीय श्री
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