Ratnakarand Shravakachar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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सम्यग्द्रष्टि तीर्थंकर पण थाय छे ...... ३९--- ११२ सम्यग्दर्शनथी मोक्षनी प्राप्ति .......... ४०--- ११३ सम्यक्त्वना महिमानो उपसंहार ..... ४१--- ११५

ज्ञानाधिाकार

सम्यग्ज्ञाननुं स्वरूप (लक्षण).......... ४२--- ११८ प्रथमानुयोगनुं स्वरूप ................... ४३--- १२२

करणानुयोगनुं स्वरूप ................... ४४--- १२५

चरणानुयोगनुं स्वरूप................... ४५--- १२८

द्रव्यानुयोगनुं स्वरूप .................... ४६ --- १३० द्रव्यानुयोगनुं प्रयोजन ........................... १३१

चारित्राधिाकार

चारित्र कोण धारण करे छे? .......... ४७--- १३३ राग-द्वेषनी निवृत्तिथी

चारित्रनुं लक्षण .......................... ४९--- १३८ चारित्रना भेद ........................... ५०--- १४० विकलचारित्रना भेद .................... ५१--- १४१ अणुव्रतनुं स्वरूप ........................ ५२--- १४२ अहिंसाणुव्रतनुं लक्षण .................. ५३--- १४५

अहिंसाणुव्रतना अतिचार .............. ५४--- १५२ सत्याणुव्रतनुं लक्षण ..................... ५५--- १५४ सत्याणुव्रतना अतिचारो................ ५६ --- १५६ अचौर्याणुव्रतनुं लक्षण .................. ५७--- १५८ अचौर्याणुव्रतना अतिचार .............. ५८--- १६० ब्रह्मचर्याणुव्रतनुं लक्षण ................. ५९--- १६२