Ratnakarand Shravakachar-Gujarati (Devanagari transliteration). Pahelo AdhikAr.

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श्रीवीतरागाय नमः।
श्रीसमन्तभद्रस्वामीविरचित
श्री
रत्नकरंMक श्रावकाचार
श्रीप्रभाचंद्राचार्यविनिर्मित संस्कृतटीका
(मङ्गलाचरण)
समन्तभद्रं निखिलात्मबोधनं
जिनं प्रणम्याखिलकर्मशोधनम्
निबन्धनं रत्नकरण्डके परं
करोमि भव्यप्रतिबोधनाकरम् ।।।।
मूळ श्लोक अने संस्कृत टीकानो
गुजराती अनुवाद

टीकाकार आचार्य प्रभाकर टीकानी शरूआतमां मंगलाचरण पूर्वक टीका करवानी प्रतिज्ञा पूर्वक कहे छे केः

अन्वयार्थ :[निखिलात्मबोधनम् ] जेओ समस्त पदार्थोना स्वरूपना जाणनार छे एवा, [अखिलकर्मशोधनम् ] जेओ समस्त कर्मनो नाश करनारा छे एवा, [भव्यप्रतिबोधनाकरम् ] जेओ भव्य जीवोने प्रतिबोध करनारा छे एवा, [समन्तभद्र परं जिनम् ] समंतभद्र जिनेश्वरदेवने (समस्त प्रकारे कल्याणथी युक्त एवा बहारथी अने १. कर्मसाधनम् घ० २. रत्नकरण्डकं ग० ३. भक्त्या ख०