Samadhitantra-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashakiy Nivedan.

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समाधिप्राप्त सर्वे संतोने नमस्कार
प्रथम आवृत्तिनुं प्रकाशकीय निवेदन

शरीरादिक परपदार्थोमां तथा परभावोमां एकत्वबुद्धि छोडीने, संसारथी मुक्त थवाना संदेशा भगवान श्री पूज्यपाद आचार्ये आ ‘समाधितंत्र’ या ‘समाधिशतक’मां आप्या छे. ते शास्त्र उपर संस्कृत टीका श्री प्रभाचंद्र आचार्ये करी छे, तेनो अक्षरश: अनुवाद प्रथमवार ज प्रकाशित करतां अत्यानंद थाय छे.

समाधिनी प्राप्ति सर्वकाळे दुर्लभ छे, तेमां पण आ वर्तमानयुगमां तो अत्यंत दुर्लभ छे. छतां समाधिप्राप्त आत्मज्ञ संत पूज्य श्री कानजीस्वामीनां भवतापनाशक अमृतमय प्रवचनोथी मुमुक्षुओने तेवी समाधिनी प्राप्ति सुलभ थई रही छे ए महान सद्भाग्य छे. तेओश्रीनां सान्निध्यमां रहीने तथा तेमनां प्रवचनोथी प्रेरणा पामीने सद्धर्मप्रेमी भाईश्री छोटालाल गुलाबचंद गांधी (सोनासणवाळा)ए आ अनुवाद तैयार करी आप्यो छे.

श्रीयुत् छोटालालभाई बी.ए. (ओनर्स); एस.टी.सी. छे. तेओ सरकारी हाईस्कूलना निवृत्त आचार्य छे. वळी तेओ साबरकांठा बेतालीस द.हु.दि. जैन केळवणी मंडळना प्रमुख तथा शेठ जी.उ.दि. जैन छात्रालय, इडरना ट्रस्टी अने मानद् मंत्री छे. हालमां तेओ मुख्यतया जैन तत्त्वज्ञाननो अभ्यास, आध्यात्मिक शास्त्रोनुं वांचन-मनन, जैन साहित्यनी सेवा अने सत्समागमादि धार्मिक प्रवृत्तिमां पोतानुं जीवन व्यतीत करी रह्या छे. छेल्ला बार वर्षथी दर वर्षे सोनगढ आवी, लांबो समय पूज्य गुरुदेवश्रीनां प्रवचनो तथा तत्त्वचर्चानो अलभ्य लाभ तेओ लई रह्या छे. तेओ शांत, सरळ स्वभावी, वैराग्यभावनावंत, अध्यात्मरसिक सज्जन छे, तेमणे आ अध्यात्मशास्त्रनो गुजराती अनुवाद अत्यंत खंत अने चीवटपूर्वक तद्दन निस्पृहभावे करी आप्यो छे. ते माटे आ संस्था तेमनी अत्यंत ऋणी छे अने आभार प्रदर्शित करवा साथे आवां सत्कार्यो तेमना द्वारा थतां रहे एम अंतरथी इच्छीए छीए.

आ ग्रंथना प्रकाशनकार्यमां श्रीयुत नवनीतभाई सी. झवेरीए सारुं प्रोत्साहन आप्युं छे अने श्रीयुत् हिंमतलाल छोटालाल शाहे ग्रंथ छपाववाना कार्यमां सहाय करी छे, तेथी ते बंनेनो आभार मानीए छीए.

आ ग्रंथना प्रकाशनार्थे कलोलना उदारचित्त सद्धर्मप्रेमी स्व. श्रीयुत वाडीलालभाई जगजीवनदास तरफथी रु. २००१नी सहायता मळी छे ते बदल तेमने तथा तेमना कुटुंबीजनोने धन्यवाद.