Samadhitantra-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashakiy Nivedan (5th eddition).

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वळी मुमुक्षुओ आ ग्रंथनो विशेष लाभ लई शके ए हेतुने लक्षमां राखीने आ ग्रंथनी किंमत घटाडवा माटे श्री बचुभाई हेमाणी, कलकत्तावाळा तरफथी रु. १०००) मळ्या छे ते माटे तेमनो आभार मानवामां आवे छे.

वसंत प्रिन्टींग प्रेस–अमदावादना व्यवस्थापक श्री जयंतिलाल दलाले कुशळतापूर्वक आ ग्रंथनुं सुंदर छपाई आदि कार्य करी आप्युं छे ते माटे तेमनो पण आभार मानीए छीए.

परमपदनी प्राप्तिनो मार्ग दर्शावनार आ शास्त्रनां सारी रीते अध्ययन तथा अनुभव करीने जगतना जीवो आधि-व्याधि-उपाधि रहित परम ज्ञानात्मक समाधिनी प्राप्ति करो एवी भावना भावीए छीए.

साहित्यप्रकाशनसमिति

सोनगढ, ता. १-४-६६

श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ (सौराष्ट्र)
पांचमी आवृत्तिनुं प्रकाशकीय निवेदन

महानसमर्थ आचार्य श्री पूज्यपादस्वामी रचित ‘समाधितंत्र’नी चोथी आवृत्ति खपी जवाथी आ पांचमी आवृत्तिनुं प्रकाशन करवामां आवी रह्युं छे. परमपूज्य परम कृपाळु सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना स्वानुभूतिप्रधान सदुपदेशथी तथा तद्भक्त प्रशममूर्ति भगवती माता पूज्य बहेनश्री चंपाबेननां आत्मार्थपोषक अंतर साधनामय पवित्र जीवन अने देवगुरु–उपकारभीना अध्यात्म उपदेशथी जीवोने भवांत करवानी रुचिनां जे बीज रोपाई-पांगरी रह्या छे, तेना प्रतापे ज ट्रस्ट तरफथी दिनोदिन प्रकाशन वृद्धिंगत बनी रह्युं छे. आ बधोय प्रताप बन्ने धर्मात्माओनो ज छे. जीवो आ प्रकाशनथी वैराग्य वधारी आत्महितनो पुरुषार्थ करे, ए ज भावना साथे– वि.सं. २०७० ता. १२-८-२०१४

साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ (सौराष्ट्र)