Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Kalash: 73-74.

< Previous Page   Next Page >


Page 219 of 642
PDF/HTML Page 250 of 673

 

कहानजैनशास्त्रमाळा ]

कर्ताकर्म अधिकार
२१९
(उपजाति)
एकस्य दुष्टो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।७३।।
(उपजाति)
एकस्य कर्ता न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।७४।।

जीव रागी नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ७२.

श्लोकार्थः[ दुष्टः ] जीव द्वेषी छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव द्वेषी नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ७३.

श्लोकार्थः[ कर्ता ] जीव कर्ता छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव कर्ता नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ७४.